मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शनिवार देरशाम स्थानीय पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार में आयोजित ‘दास्तान-ए-कबीर’ कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने किस्सागोई के माध्यम से कहने-सुनने की परंपरा को पुनः स्थापित करने के लिए युवा कलाकारों के पहल को सराहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कबीर को हम सभी हमेशा सुनते आए हैं और आज भी सुन रहे है, फिर भी मन नहीं भरता। यह खुशी की बात है कि युवा कलाकारों ने ही युवा पीढ़ी को कबीर से परिचय कराने का संकल्प लिया है और संत कबीर की कहानियां वो सुना रहे है। मुख्यमंत्री ने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि खेत से फसल काटकर ब्यारा में लाने और मिसाई तक के इन डेढ़-दो महीनों में उन्हें कहानी सुनने का बड़ा अच्छा मौका मिलता था। कहानियों से सीखते-समझते हम बड़े हुए। आज की युवा पीढ़ी कहानियां नहीं सुनती।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि पुस्तक पढ़कर जो बातें समझ नहीं आती, उन्हें छोटी-छोटी कहानियों और घटनाओं के माध्यम से उसे सहज ही समझा जा सकता है। कहानियों का अपना रस है, बड़ी सीख भी कहानियां आसानी से सीखा जाती है, अन्य विधाओं में ऐसा कम ही होता है।
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मुख्यमंत्री ने कलाकारों को शॉल और श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर पद्मश्री मदन चौहान, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष पंकज शर्मा, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राकेश गुप्ता सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। साथ ही दास्तांगोई के लिए मशहूर कलाकार हिमांशु बाजपेयी सहित अजय टिपानिया, प्रज्ञा शर्मा और वेदांत भारद्वाज ने संगीतमय प्रस्तुति दी।
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