(अवैस उस्मानी)-बिहार में जाति आधारित गणना के सर्वे के डाटा के सार्वजनिक करने पर रोक लगाने की मांग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा सर्वे का निजी डेटा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का निजता के अधिकार से जुड़े फैसले के मुताबिक यह निजता का हनन होगा बिहार सरकार ने कहा कि वह सर्वे का निजी डेटा सार्वजनिक नहीं करेगी बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जाति आधारित गणना का सर्वे 6 अगस्त तक पूरा हो गया है और 12 अगस्त को अपलोड कर दिया गया है सुप्रीम कोर्ट में बिहार के जाति सर्वे के आंकड़ों के प्रकाशन पर अंतरिम रोक लगाने की मांग पर अब सोमवार को सुनवाई होगी।
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बिहार में जाति आधारित गणना के सर्वे के डाटा के सार्वजनिक करने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाय पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी एन भट्टी की पीठ ने सुनवाई किया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऐसा नहीं लगता कि सर्वे से किसी की निजता का हनन हो रहा है। याचिकाकर्ताओं ने जातिगत सर्वे का डेटा सार्वजनिक करने पर रोक लगाने की मांग किया याचिकाकर्ता के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता.. किसी वैध उद्देश्य वाले निष्पक्ष,और उचित कानून के अलावा नहीं किया जा सकता है। और यह कार्यकारी आदेश के जरिये नहीं किया जा सकता. किसी को कोई कारण नहीं बताया गया और न ही सूचित किया गया याचिकाकर्ताओं के वकील CS वैद्यनाथन ने पुट्टास्वामी मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की संविधान पीठ फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ये सर्वे निजता के अधिकार का हनन है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील से कहा कि दो तरह के डेटा है एक व्यक्तिगत डेटा जो सार्वजनिक नहीं किया जा सकता प्राइवेसी का सवाल है.. जबकि ब्रेकअप डेटा का एनालिसिस किया जा सकता है जिससे बडी पिक्चर सामने आती है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि यह कोई संवैधानिक आदेश नहीं था यह प्रशासनिक आदेश था। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं द्वारा राज्य सरकार द्वारा सर्वे किए जाने के अधिकार के सवाल पर भी दलील रखेगा।
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