(प्रदीप कुमार): कनाडा के ओंटारियो प्रोविंस के मिनिस्टर ऑफ़ मेन्टल हेल्थ एंड एडिक्शन्स , माइकल टिबोलो को कनाडा के अस्पतालों में भीड़ कम करने का इलाज भारत की आयुर्वेदिक पद्वति में दिखाई देता है। आयुर्वेद को बेहतर तरीके से समझने के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में आये कैनेडियन प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे ओंटारियो प्रान्त के मिनिस्टर ऑफ़ मेन्टल हेल्थ एंड एडिक्शन्स माइकल टिबोलो आगे कहा कि आयुर्वेदिक जीवन शैली अपनाने से कई रोगों से बचा जा सकता है और कनाडा में इसके संचार से आने वाले सालों वहां के अस्पतालों में भीड़ कम हो सकती हैं।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने हाल ही में आये ओंटारियो के मिनिस्टर ऑफ़ मेन्टल हेल्थ एंड ऐडिक्शन्स श्री माइकल टिबोलो की अगुवाई में कनाडा के एक अंतराष्ट्रीय स्तर प्रतिनिधि मंडल का स्वागत किया। कनाडा से आये इस प्रतिनिधि मंडल ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के हॉस्पिटल, शैक्षिक और प्रशासनिक ब्लॉक और प्रयोगशालाओं का भी दौरा किया और चिकित्सा के क्षेत्र में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के एकीकृत मॉडल को भली भाँति समझा। उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के आयुर्वेदिक शोध, सामुदायिक स्वास्थ्य, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर वहां के स्कॉलर्स और डॉक्टर्स से चर्चा की।
इस अवसर परओंटारियो के मिनिस्टर ऑफ़ मेन्टलएंड ऐडिक्शन्स हेल्थ माइकल टिबोलो ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान द्वारा किये गए रिसर्च और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये गए कार्यों की सराहना की और कहा कि, “अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का भव्य स्वागत के लिए हार्दिक धन्यवाद। यहाँ पर आ कर मुझे मुझे यह ज्ञान हुआ कि पूरब और पश्चिम कि चिकित्सीय पद्वतियां साथ साथ चल सकती है।
यहाँ कनाडा में हमारा ध्यान Quick results या त्वरित परिणामों की तरफ ज़्यादा रहता है। हम बचाव, स्वास्थ्य को ले कर शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल ध्यान देना भूल जाते है।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में कई डॉक्टर्स और विशेषज्ञों ने मुझे आज अपना बहुमूल्य समय दिया और मुझे आयुर्वेद और बाकी चिकित्सीय पद्वतियों के एकीकृत मॉडल की जानकारी दी। आकस्मिक चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेदिक औषधियां और पाश्चात्य चिकित्सा कैसे साथ साथ काम कर सकते हैं , यह अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में देखने को मिलता हैं। आयुर्वेद जैसी हज़ारो साल पुरानी पारम्परिक चिकित्सा ने यह रिसर्च द्वारा यह सिद्ध किया है किया है कि इनके सेवन से आकस्मिक चिकित्सा की ज़रुरत को टाला या कम किया जा सकता हैं ”
कनाडा में ओंटारियो प्रान्त के बारें में बात करते हुए उन्होंने कहा ,” मैं चाहता हूँ कि ओंटारियो में स्वास्थय सेवाएं सिर्फ अस्पतालों तक केंद्रित ना रहे, वह समाज के हर वर्ग के बीच में पहुंचे। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान इस प्रकार के बहुत सारे कैम्प्स का आयोजन कर चुका हैं।अस्पतालों में मरीज़ों कि संख्या को कम करने का इलाज मुझे आखिरकार भारत के आयुर्वेद के बारें में जान कर मिला है। मैं अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान को ह्रदय तल से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ कि उन्होंने में मुझे यहां पर होने वाले साक्ष्य आधारित रिसर्च और स्वस्थ्य सेवाओं से अवगत कराया। उन्होंने आगे कहा कि अखिल भारतीय आर्युवेद संस्थान ने यह सिद्ध किया है कि योग और आयुर्वेद की शक्ति से कई रोगों से बचाव और उपचार संभव हैं ।
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संस्थान की निदेशक प्रोफेसर (डॉ) तनूजा मनोज नेसरी ने कनाडा के प्रतिनिधिमंडल को धन्यवाद देते हुए कहा कि वो दिन दूर नहीं जब कनाडा इंडिया फाउंडेशन की मदद से वहां पर भी आयुर्वेद संस्थान खुलेंगे और आयुर्वेद सम्बन्धी शिक्षा का प्रचार-प्रसार होगा। हम सहर्ष अपने researches को कनाडा के माननीय मंत्री के साथ साझा करेंगे ताकि उन्हें वो वहां की सरकार के समक्ष रख सकें। कैनेडियन प्रतिनिधि मंडल में कनाडा इंडिया फाउंडेशन की तरफ से सतीश ठक्कर, चेयरमैन कनाडा इंडिया फाउंडेशन, रितेश मल्लिक और फाउंडेशन के अन्य गणमान्य सदस्य भी इस अवसर पर वहां उपस्थित रहे।
डीन पी एच डी प्रोफेसर (डॉ) महेश व्यास , डीन पी जी (डॉ ) आनंद मोरे , कुमारभृत्य डिपार्टमेंट के HOD प्रोफेसर (डॉ) राजगोपाला , मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डॉ अनंतरमन शर्मा , काया चिकित्सा डिपार्टमेंट के HOD प्रोफेसर (डॉ) एस जोनाह और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान परिवार के अन्य सदस्य भी इस अवसर पर मौजूद थे।
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