Congress News: कांग्रेस ने आज चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ दल के बिचौलिए की तरह काम करके पक्षपात करने का आरोप लगाया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले बिहार में मतदाता सूचियों की विशेष गहन समीक्षा का उद्देश्य लगभग दो करोड़ मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना है, जो आयोग द्वारा मांगे जा रहे दस्तावेज प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।आज यहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मीडिया एवं प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार और बिहार के प्रभारी कृष्ण अल्लावरु सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि आयोग की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है और बची-खुची विश्वसनीयता भी खत्म हो गई है।
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पवन खेड़ा ने कहा कि ‘एसआईआर’ बिहार के मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने और उन्हें वोट देने के उनके मूल अधिकार से वंचित करने की एक स्पष्ट साजिश है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग भाजपा सरकार की कठपुतली की तरह काम कर रहा है। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा भारत ब्लॉक से संबंधित ग्यारह दलों के प्रतिनिधिमंडल से निपटने के तरीके पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त से कहा कि उन्हें भविष्य के लिए बेहतर विरासत छोड़नी चाहिए, नहीं तो उनका नाम इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने चेतावनी देते हुए कहा, “जिस तरह से चुनाव आयोग को चलाया जा रहा है, वह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है – न केवल विपक्ष के लिए, बल्कि प्रत्येक मतदाता के लिए।” उन्होंने कहा कि संविधान द्वारा सभी की सीमाएं निर्धारित की गई हैं और आयोग सहित किसी को भी उन सीमाओं का उल्लंघन करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने आयोग से कहा, “मैं पूरी विनम्रता के साथ चुनाव आयोग को चेतावनी देता हूं कि सरकारें आती-जाती रहती हैं। आप उनके प्रति इतने गुलाम क्यों हैं? बेहतर होगा कि आप संविधान का पालन करें।”
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वही चुनाव आयोग की मंशा और उद्देश्य पर संदेह जताते हुए बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि यह बिहार के मतदाताओं के मूल मताधिकार को छीनने का स्पष्ट प्रयास है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों की विशेष गहन समीक्षा को मात्र एक महीने में पूरा करने में व्यावहारिक कठिनाइयां आएंगी, क्योंकि सरकार के पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन, खास तौर पर जनशक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने खुद कहा है कि आयोग को उम्मीद है कि बिहार में करीब 20 फीसदी मतदाता मताधिकार से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब और वंचित तबके के लोग होंगे, क्योंकि वे जरूरी दस्तावेज, खास तौर पर अपना और अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र, पेश करने में सक्षम नहीं होंगे।
बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार लगभग हर चीज और हर जगह पहचान के प्रमाण के तौर पर आधार कार्ड को स्वीकार कर रही है, लेकिन यह समझ से परे है कि चुनावी उद्देश्यों के लिए इसे क्यों स्वीकार नहीं किया जा रहा है।
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि करीब दो करोड़ मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने की प्रक्रिया का तात्कालिक कारण बिहार में कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता है।इस अवसर पर बोलते हुए कृष्णा अल्लवरु ने कहा कि मतदाता सूचियों की विशेष गहन समीक्षा केंद्र सरकार का एक और “मनमाना फैसला” है, जिसे लोगों पर थोपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी, उसके बाद अघोषित लॉकडाउन, जब हमारे रक्षा बल पाकिस्तान पर बढ़त बनाए हुए थे, तब युद्ध विराम की स्वीकृति और अब बिहार में एक महीने के भीतर इतनी बड़ी कवायद करने का यह पांचवां मनमाना फैसला है।
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