जातिगत जनगणना के मुद्दे पर देश में सियासी हलचल तेज हो गई है। आज दिल्ली के इंदिरा भवन में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। पायलट ने जातिगत जनगणना को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और बड़ी मांग रखी है।
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कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने आज दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान सचिन पायलट ने सरकार के नोटिफिकेशन में जाति का जिक्र न करने को लेकर सवाल उठाए और कहा कि सरकार की नीयत में खोट है। पायलट ने कहा कि कांग्रेस और हमारे नेता राहुल गांधी जी लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग उठाते रहे हैं। यह मांग सामाजिक न्याय और देश की वास्तविक स्थिति को सामने लाने के लिए है। हम चाहते हैं कि यह जनगणना पारदर्शी और वैज्ञानिक तरीके से हो, लेकिन केंद्र सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है, उसमें कई खामियां हैं। हम मांग करते हैं कि सरकार स्पष्ट समय सीमा तय करे कि यह जनगणना कब तक पूरी होगी और इसके मापदंड क्या होंगे।”
सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह जनगणना केवल आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को समझने का एक जरिया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे को टालने की कोशिश कर रही है। पायलट ने यह भी कहा कि बीजेपी ने पहले इस मांग को ‘अर्बन नक्सल’ जैसे शब्दों से खारिज किया था, लेकिन अब कांग्रेस और जनता के दबाव में सरकार को यह फैसला लेना पड़ा।
उन्होंने कहा कि “राहुल गांधी जी ने कहा था कि यह देश का एक्स-रे है। हमें हर जाति की स्थिति, उनकी शिक्षा, रोजगार और जीवन स्तर का सटीक आंकड़ा चाहिए। लेकिन बीजेपी की नियत पर हमें शक है। 2027 तक जनगणना टालने की बात से लगता है कि सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही। सचिन पायलट ने तेलंगाना मॉडल का हवाला देकर कहा है कि हम मांग करते हैं कि जल्द से जल्द इसकी प्रक्रिया शुरू हो और एक निश्चित समय में इसे पूरा किया जाए।”
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पायलट ने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना से न केवल सामाजिक न्याय सुनिश्चित होगा, बल्कि नीति निर्माण और बजट आवंटन में भी मदद मिलेगी। वहीं दूसरी ओर, बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना का फैसला लिया है और यह प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने जाति जनगणना पर कांग्रेस पर भ्रम फैलाने के आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार की मंशा केवल वादे करने तक सीमित है। बहरहाल बिहार चुनाव के मद्देनजर इस मुद्दे पर सियासी घमासान अभी और तेज होने की पूरी संभावना है।