Delhi: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे है।पुतिन दिल्ली पहुँच चुके है। हालांकि, यात्रा का औपचारिक आगाज़ कल होगा, लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निजी रात्रिभोज पर पुतिन की मेजबानी कर रहे है। यह अनौपचारिक बातचीत कल होने वाली शिखर वार्ता का एजेंडा सेट करेगी।”कल 5 दिसंबर को पुतिन की भारत यात्रा का मुख्य केंद्र बिंदु रहेगा। Delhi:
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सबसे पहले राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति पुतिन को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जायेगा।कल सुबह, राष्ट्रपति पुतिन का राष्ट्रपति भवन में भव्य स्वागत होगा।पुतिन को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा, जो किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के लिए सर्वोच्च सम्मान है। इसके बाद राष्ट्रपति पुतिन राजघाट जाएंगे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।दोपहर में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता होगी। यह वार्ता 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन का औपचारिक सत्र होगा, जहाँ दोनों नेता तमाम द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा करेंगे। Delhi:
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महत्वपूर्ण समझौते- इस शिखर वार्ता के दौरान कई रक्षा, व्यापार और निवेश के महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। इसमें S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी में तेजी लाने, और दोनों देशों के बीच व्यापार को अगले 5 वर्षों में 100 अरब डॉलर तक ले जाने के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।रक्षा सहयोग के तहत S-400 सिस्टम शीर्ष एजेंडा में शामिल है।इसके तहत S-400 वायु रक्षा प्रणाली की शेष इकाइयों की डिलीवरी में तेजी लाना और अतिरिक्त इकाइयों की खरीद पर चर्चा शामिल है। Delhi:
तीन स्क्वाड्रन पहले ही डिलीवर हो चुके हैं, बाकी 2026 तक अपेक्षित हैं।वही नए रक्षा सौदे के तहत पैंटसिर एयर डिफेंस सिस्टम के संयुक्त विकास और वोरोनज़ अर्ली वार्निंग रडार सिस्टम की संभावित खरीद पर बातचीत हो सकती है। दोनों नेताओं के बीच यूक्रेन युद्ध सहित क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान होने की उम्मीद है।यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन पहली बार भारत आ रहे हैं ।Delhi:
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा एक ऐसे समय में हो रही है जब भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में, रूस के साथ रिश्तों को मज़बूती देना भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों की प्राथमिकता को दर्शाता है। यह यात्रा न केवल पुरानी मित्रता को पुनर्जीवित करेगी, बल्कि आने वाले दशकों के लिए साझेदारी की दिशा भी तय करेगी।”अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों और भारत पर रूसी तेल खरीद कम करने के दबाव के बीच हो रही इस यात्रा पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं । Delhi:
