Diwali: दिवाली पर्व के मद्देनजर बाजारों में पारंपरिक वस्तुएं सजनी शुरू हो गई हैं। इनमें मिट्टी के दीपक प्रमुख आकर्षण बने हुए हैं। मिट्टी के दीये के आगे चाइनीज लड़ियों की चमक फकी पड़ी है। इस बार दिवाली (Diwali) के त्यौहार को लेकर कुम्हारों को अच्छा-खासा बिजनेस होने का अंदेशा है। यहीं कारण है कि कुम्हारों के चाक की रफ्तार भी तेज हो गई है। बाजारों में जहां मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है वहीं चाइनीज सामान और फैंसी आइटमों के चलते मिट्टी के दीये की बिक्री पर असर पड़ रहा है। कारीगरों की सरकार से पटाखों की तर्ज पर चाइनीज आइटमों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग उठाई है।
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दिवाली (Diwali) का त्यौहार नजदीक आते ही कुम्हारों द्वारा अपने चाक की रफ्तार तेज करते हुए दीये बनाने का काम तेजी से कर दिया है। उम्मीद के साथ मिट्टी का बर्तन बनाने वाले कुम्हार दिन-रात काम करने लगे हैं। वहीं बाजारों में बिक रहे चाइनीज सामान और फैंसी आइटमों की वजह से मिट्टी के दीये और अन्य सामान की बिक्री पर भी असर हो रहा है। हालांकि इस बार पिछले वर्षों की तुलना में लोगों की डिमांड रंग-बिरंगे मिट्टी के दीये ही हैं।
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बाजारों में पारंपरिक वस्तुएं सजनी शुरू हो गई हैं। इस बार दीयों के अलावा फ्लावर पाट व पानी वाले दीये भी आकर्षण का केंद्र बने हैं। मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों का दर्द भी सामने आया। उन्होंने कहा कि बाजारों में चाइनीज सामान और फैंसी आइटमों की वजह से मिट्टी के दीये की बिक्री पर असर पड़ रहा है। जिस तरह सरकार व प्रशासन द्वारा पटाखों पर रोक लगाई है, उसी अनुसार चाइनीज आइटमों पर रोक लगानी चाहिए।
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