Go-kart: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज की ऑटोमोटिव सोसायटी से जुड़े स्टूडेंट ने आगामी इंडियन कार्टिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने के लिए गो-कार्ट (Go-kart) बनाई है। इस टीम में चार ब्रांच के स्टूडेंट हैं। इन्हें रूल बुक के मुताबिक गो-कार्ट बनाने के लिए दिल्ली और पुणे से चीजें जुटानी पड़ीं।
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बता दें, एक गो-कार्ट बनाने में करीब तीन से चार लाख रुपये का खर्च आता है, लेकिन इस गो-कार्ट को मात्र डेढ़ लाख रुपये में तैयार किया गया है। हाइड्रोलिक ब्रेक से लैस 150 सीसी की इस गो-कार्ट को फिलहाल जून में होने वाली प्रतियोगिता के लिए टेस्ट किया जा रहा है।
स्टूडेंट प्रियांश जैन ने कहा कि हमने लगभग 6 से 7 महीने पहले इसकी प्रिपरेशन चालू की थी। जुगाड़ तो ऐसा है कि बहुत सारी चीजें यहां जबलपुर में अवैलेबल नहीं थी तो हम दिल्ली और कुछ पूने से भी मैटिरियल मंगवाया है और हमारे वर्कशाप में हमारे कॉलेज में बहुत सारा स्क्रैप आइटम भी था। जो पुराने जैसे सीनियर्स ने कोई वोकार्ड बना के रखी थी जैसे उसकी चेचिस, उसकी पाइप्स वगैरह है वो सब भी हमने इसमें यूज किये हैं तो हम इसको चाह रहे थे कि कम से कम बजट में हमारी एक गोकार्ड बन जाए, तो हमनें उस चीज का प्रयास किया है लगभग लगभग डेढ़, पौने दो लाख का इसमें फिर भी इसमें खर्च आ चुका है।
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छात्रा वैष्णवी पाठक ने कहा कि इंडियन कार्टिंग चैंपियनशिप जो एक स्पोर्ट चैंपियनशिप है, उसमें हमने पार्टिसिपेट किया है और यहां पर हमारी गो-कार्ट की रेसिंग होगी, इसमें जो गो-कार्ट है वो हम लोगों ने खुद बनाई है। गो-कार्ट की अगर हम बात करें तो ये आम तौर पर एक नॉर्मल जो हमारी कार होती है जो सिंपल रोड पर चलती है उसी का ही एक छोटा रुप है और बस इसमें फर्क सिर्फ इतना है कि वो हमारी नॉर्मल कार है और ये हमारी रेसिंग कार है।
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