Cab fare: दिल्ली में यात्री ओला, उबर और रैपिडो जैसी कैब सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को व्यस्त समय में आधार मूल्य का दोगुना किराया वसूलने की मंजूरी देने के सरकार के फैसले पर कड़ी नाराजगी जता रहे हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक जुलाई को संशोधित मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2025 जारी किया। इसमें व्यस्त समय के किराए को, बेस किराए को डेढ़ गुना से बढ़ाकर दो गुना करने को मंजूरी दे दी गई।
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ऐप-आधारित कैब का नियमित इस्तेमाल करने वाले इस कदम को गलत बता रहे। उनका कहना है कि इससे दैनिक यात्रा काफी महंगी हो जाएगी।यात्री नए दिशा-निर्देशों को गलत और शोषण करने वाला बता रहे। उनका तर्क है कि खराब सड़क की वजह से होने वाले ट्रैफिक के लिए उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए। दिशा-निर्देशों में न्यूनतम सीमा भी तय की गई है, जिससे गैर व्यस्त समय के दौरान किराए को आधार किराए के 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।नियमों के अनुसार, आधार किराया वो होगा जो राज्य सरकार की तरफ से हर वाहन श्रेणी के लिए अधिसूचित किया जाएगा। कैब कंपनियों को किराए की गणना उसी के अनुसार करनी होगी।
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नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, बिना किसी वैध कारण के बुकिंग रद्द करने वाले ड्राइवरों को किराए का 10 प्रतिशत जुर्माना देना होगा, जिसकी अधिकतम सीमा 100 रुपये होगी। बिना किसी वैध कारण के बुकिंग रद्द करने वाले यात्री को भी इस तरह का जुर्माना अदा करना होगा।राज्यों को तीन महीने के अंदर संशोधित मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशा-निर्देश 2025 को अपनाने की सलाह दी गई है।मंत्रालय ने इससे पहले 2020 में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 93 के तहत इसी तरह के दिशा-निर्देश जारी किए थे।
आदित्य, कैब यात्री: केवल इसलिए कि वो पीक टाइम है, तो इसका मतलब नहीं है कि वो हमसे डबल किराया ले सकते हैं। तो फिर यही चीज है फिर हमको उनको ही डबल चार्ज देना है तो हम उसकी जगह, ओला, उबर की जगह प्राइवेट टैक्सी बुक कर लेंगे। मेरा डेली का 100 रुपये का खर्चा है, व्यस्त समय में किराया डबल होने का मतलब है कि वो 100 रुपये का खर्चा 200 रुपये हो गया। ये मिडिल क्लास पर सबसे ज्यादा असर डालेगा।”
एसके भारती, कैब यात्री: रिस्पॉस तो ये है कि अमूमन जो ओला या उबर बुक करते हैं, इसका मतलब होता है कि वो मेट्रो का फायदा उस समय नहीं ले सकते हैं, उनकी मजबूरी है कि हमें जल्दी जाना ही है, उस स्थिति में ये करना एक तरह से जो है वर्किंग वूमेन या वर्किंग मेन के लिए जो है डबल बर्डन है सरकार की ये नीति जो है। और हमेशा से रहा सरकार की नीति सबसे पहले असर डालती है तो वो मिडिल फैमली को करती है और वर्किंग क्लास जो मिडिल क्लास के लोग हैं उन पर ज्यादा असर डालती है। ये भी मिडिल क्लास पर ही असर डालेगी, क्योंकि जो अपर क्लास है उनके पास अपनी खुद की कार है, तो उन पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”
(SOURCE PTI )