Haryana News: SYL नहर विवाद पर हरियाणा-पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक 9 जुलाई को दिल्ली में होगी। यह चौथे दौर की मध्यस्थता वार्ता होगी।इसकी अध्यक्षता केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल करेंगे।पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। पंजाब और हरियाणा के बीच चर्चित SYL नहर विवाद में नया मोड़ आ गया है।SYL नहर विवाद पर हरियाणा-पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक 9 जुलाई को दिल्ली में होगी।पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस बैठक में हिस्सा लेंगे,इसकी अध्यक्षता केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल करेंगे.. Haryana News
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केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने पंजाब के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर इसकी सूचना दे दी है। यह बैठक सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत हो रही है, जिसकी अगली सुनवाई 13 अगस्त 2025 को निर्धारित है। यह चौथे दौर की मध्यस्थता वार्ता होगी।इससे पहले की तीन बैठकें (18 अगस्त 2020, 14 अक्टूबर 2022, और 4 जनवरी 2023) बेनतीजा रही हैं। केंद्र सरकार दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे के विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता कर रही है, और इस बैठक की प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। दरअसल मई में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से पंजाब और हरियाणा को मामले को सुलझाने के लिए केंद्र के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने पहले जल शक्ति मंत्री को इस मुद्दे में मुख्य मध्यस्थ नियुक्त किया था और उनसे केवल “मूक दर्शक” बने रहने के बजाय सक्रिय भूमिका निभाने को कहा था।
214 किलोमीटर लंबी एसवाईएल नहर का निर्माण रावी और ब्यास नदियों के पानी के बंटवारे के लिए प्रस्तावित था। इसमें 122 किलोमीटर हिस्सा पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में बनना था। हरियाणा ने अपने हिस्से का निर्माण पूरा कर लिया है, लेकिन पंजाब ने 1982 में शुरू हुआ निर्माण कार्य बाद में रोक दिया। पंजाब का कहना है कि उसके पास हरियाणा को देने के लिए एक बूंद पानी भी नहीं है, जबकि हरियाणा 1981 के समझौते के तहत अपने हिस्से के 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी की मांग कर रहा है
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जनवरी 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया और पंजाब को समझौते की शर्तों के अनुसार नहर बनाने को कहा। हालांकि, पंजाब विधानसभा ने 2004 में 1981 के समझौते को खत्म करने के लिए एक कानून पारित किया। 2004 के पंजाब के इस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में रद्द कर दिया।यह मामला तब से उच्चतम न्यायालय में लंबित है, जिसने अब सुनवाई की अगली तारीख 13 अगस्त तय की है, यदि केंद्र की मध्यस्थता में पंजाब और हरियाणा फिर से किसी समझौते पर पहुंचने में विफल रहते है तो सुप्रीम कोर्ट अपना सर्वोच्च निर्णय सुना सकता है।