(आकाश शर्मा)- UCC NEWS- भारत में UCC को लेकर, भारत की राजनीति में सियासी तूफान आ गया। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भोपाल दौरे पर जब से UCC पर वकालत की है, तब से इसको देश में लागू करने के कयास लगाए जा रहे है। लोगों के मन में इसको लेकर काफी सवाल है।
हमारा देश के संविधान निर्माताओं ने भी इसको लागू करने का प्रावधान किया है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। अगर सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे मामले में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे।
UCC पर हमारा संविधान क्या कहता है?
संविधान के अनुच्छेद 44 में UCC का जिक्र है। हमारा देश के संविधान में इसे नीति निदेशक तत्व में शामिल किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है।
सभी धर्म के लिए भारत में है अलग- अलग कानून सरकार को क्या क्या करना होगा बदलाव !
भारत में UCC पर भले ही चर्चा इसको लागू करने की हो सरकार को देश में कई बदलाव करने होंगे।
देश में हिंदुओं के लिए शादी और संपत्ति के बंटवारे के लिए अलग- अलग कानून है। जैसे- हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) मौजूदा कानूनों को संशोधित करना होगा।
देश के मुस्लिम धर्म के लिए तलाक, संपत्ति का बंटवारा के लिए अलग -अलग व शरीयत के हिसाब से अधिकार मिले हुए है। मुस्लिम पर्सनल (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट इन्हे यह अधिकार देता है। सरकार को यहां भी बदलाव करना होगा।
सिखों की शादी संबंधित कानून (1909) के आनंद विवाह अधिनियम के अंतर्गत आते है। उसमे सरकार को बड़ा बदलाव करना होगा।
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पारसी विवाह और तलाक अधिनियम (1936) , उनके लिए अलग से कानूनी प्रक्रिया है, सरकार को यहां भी बदलाव करना होगा।
ईसाई तलाक अधिनियम (1869) में बदलाव करना होगा।
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