International Award: बानू मुश्ताक की किताब ‘हार्ट लैंप’ को इस साल का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला

International Award

International Award: भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक ने अपनी किताब ‘हार्ट लैंप’ के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीतकर इतिहास रच दिया है। हार्ट लैंप कन्नड़ भाषा में लिखी पहली किताब है, जिसे बुकर प्राइज मिला है। दीपा भष्ठी ने इसे अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया है। बुकर प्राइज के लिए हार्ट लैंप को दुनियाभर की छह किताबों में से चुना गया।

Read Also: Operation Sindoor : कैसे भारतीय सेना के गुप्त युद्ध कक्षों और भारी तोपखाने ने नियंत्रण रेखा पर किया राज?

दीपा भष्ठी इस किताब के लिए अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय ट्रांसलेटर हैं। बानू मुश्ताक और दीपा भष्ठी ने मंगलवार को लंदन के टेट मॉडर्न में हुए कार्यक्रम में अवॉर्ड रिसीव किया। दोनों को 50,000 पाउंड (52.95 लाख रुपए) की पुरस्कार राशि भी मिली है, जो लेखक और ट्रांसलेटर के बीच बराबर-बराबर बांटी जाती है। मुश्ताक ने हार्ट लैंप किताब में दक्षिण भारत में पितृ सत्तात्मक समाज में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं की कठिनाइयों को मार्मिक ढंग से दर्शाया है।

Read Also: दिल्ली में हुई रेखा कैबिनेट की अहम बैठक, कई महत्वपूर्ण फैसलों पर लगी मुहर

अवॉर्ड जीतने के बाद मुश्ताक ने कहा कि यह किताब का जन्म इस भरोसे से हुआ है कि कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती। मानवीय अनुभव के ताने-बाने में हर धागा मायने रखता है। ऐसी दुनिया में जो अक्सर हमें विभाजित करने की कोशिश करती है, साहित्य उन खोई हुई पवित्र जगहों में से एक है जहां हम एक-दूसरे के दिमाग में रह सकते हैं, भले ही कुछ पन्नों के लिए ही क्यों न हो। इससे पहले 2022 में भारत की राइटर गीतांजलि श्री ने उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड के लिए प्रतिष्ठित बुकर प्राइज जीता था। टॉम्ब ऑफ सैंड बुकर जीतने वाली हिंदी की पहली किताब थी। इसका अंग्रेजी अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया है।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *