International Sign Language Day: अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाने के पीछे क्या है वजह ?

International Sign Language Day

International Sign Language Day: इस दुनिया को बेहद अलग कहा जाता है। क्योंकि यहां हर कोने पर कुछ ना कुछ भिन्नता आपको जरूर दिखाई देगी। प्रकृति ने कुछ लोगों को कुछ खास चीजें प्रदान की होती है, जो उन्हें बाकि लोगों से अलग बनाती है। उन लोगों को ही विशेष रूप से सक्षम कहा जाता है। इन खास लोगों के लिए, उनकी सहूलियत के लिए कुछ चीजें तैयार की जाती है। जैसे मूक बधिर लोगों के लिए साइन लैंग्वेज ताकि वो अपनी बात को अच्छे से समझा सके और सुनने में बधिर लोगों के लिए भी यह भाषा काम करती है। इसकी विशेषता दुनिया को समझाने के लिए और इसे प्रोत्साहित करने के लिए ही प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (International Sign Language Day) मनाया जाता है।

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क्या है सांकेतिक भाषा ?

सांकेतिक भाषा (Sign Language) का अर्थ है संकेत के जरिए अपनी बात दूसरों को समझाना। जिसमें हमारे हाथों के इशारे, चेहरे के हाव भाव और बॉडी लैंग्वेज द्वारा अपनी बात को दूसरे तक पहुंचाना। यह भाषा खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाई गई है जो बोलने और सुनने में सक्षम ना हो।

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस का महत्व और उद्देश्य ?

खास प्रकार से सक्षम लोगों को कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ना सिर्फ शैक्षणिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी उन्हें कई सारी समस्या होती है। कई देशों में अभी भी सांकेतिक भाषा (Sign Language) को औपचारिक शिक्षा का हिस्सा नहीं बनाया गया है। जिसके कारण इन लोगों को शिक्षा में और फिर रोजगार करने में समस्या आती है। इन सभी चुनौतियों के प्रति उजागर करने के लिए 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने सांकेतिक भाषा दिवस की स्थापना की थी। यह मात्र संचार का साधन नहीं है, बल्कि बधिर समुदाय के लिए उनकी संस्कृति और एक अलग पहचान है।

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बधिर होते हुए भी कर दिया कमाल

सारा सनी- जो लोग छोटी-छोटी समस्याओं से घबरा जाते हैं और हार मान लेते हैं उन सभी के लिए सारा सनी एक मिसाल के तौर पर काम कर सकती है। सारा सनी भारत की पहली मूक बधिर वकील हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में साइन लैंग्वेज (Sign Language) का प्रयोग करके अपने केस का पक्ष रखा था। इसके साथ ही बधिरों के लिए वकालत जगत में नए दरवाजे खोल दिए हैं।

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