किसान नेताओं ने खनौरी बॉर्डर पर 4 जनवरी को बुलाई महापंचायत, डल्लेवाल बोले- अनशन करने का कोई दबाव नहीं

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Jagjit Singh Dallewal: अपनी कई मांगें को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने चार जनवरी को खनौरी धरना स्थल पर ‘‘किसान महापंचायत’’ का शनिवार को आह्वान किया। इससे पहले, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राज नैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने 30 दिसंबर को पंजाब बंद का आह्वान किया था। ये कदम ऐसे समय उठाया गया है जब उच्चतम न्यायालय ने एक महीने से ज्यादा समय से अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल नहीं ले जाने के लिए पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। एसकेएम  नेता काका सिंह कोटड़ा ने कहा कि 70 साल के किसान डल्लेवाल अनिश्चित कालीन अनशन पर हैं। उनका अनशन शनिवार को 33वें दिन में प्रवेश कर गया

कोटड़ा ने खनौरी धरना स्थल पर कहा कि हम चार जनवरी को खनौरी में एक बड़ी किसान महापंचायत करेंगे, जिसमें कई राज्यों के किसान शामिल होंगे।उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए इस बात की भी संभावना जताई कि दूसरे किसान नेताओं ने डल्लेवाल को अस्पताल ले जाने की अनुमति नहीं दी होगी।

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इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डल्लेवाल ने एक वीडियो संदेश में कहा कि वे अनशन पर बैठे हैं। उन्होंने पूछा कि उच्चतम न्यायालय में ये रिपोर्ट किसने दी और ये भ्रांति किसने फैलाई कि मुझे बंधक बनाकर रखा गया है, ऐसी बात कहां से सामने आई? उन्होंने कहा कि इस देश के सात लाख किसान कर्ज के कारण आत्महत्या कर चुके हैं और किसानों को बचाना जरूरी है, इसलिए वे प्रदर्शन करने के लिए बैठे हैं और किसी के दबाव में नहीं हैं।

किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि डल्लेवाल भी महापंचायत को संबोधित कर सकते हैं। डल्लेवाल ने पहले कहा था कि जब तक सरकार किसानों की मांगें नहीं मान लेती, वोे अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन पीठ ने अभूतपूर्व सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने के वास्ते राजी करने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया और स्थिति के अनुसार केंद्र से सहायता मांगने की स्वतंत्रता दी। पंजाब सरकार ने डल्लेवाल को अस्पताल ले जाने में असमर्थता जताते हुए कहा कि उसे प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने डल्लेवाल को घेर लिया है और वे उन्हें अस्पताल नहीं ले जाने दे रहे।

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अदालत ने कुछ किसान नेताओं के आचरण को भी आश्चर्यजनक और संदिग्ध बताया। इस बीच, पंजाब सरकार के अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय टीम ने फिर डल्लेवाल से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि अगर वे अपना अनशन जारी रखना चाहते हैं तो उन्हें चिकित्सा इलाज कराना चाहिए।डल्लेवाल ने अब तक इलाज से इनकार किया है और राज्य सरकार ने उनके स्वास्थ्य की चौबीसों घंटे निगरानी के लिए डॉक्टरों की एक टीम गठित की है।

टीम में पुलिस उप-महानिरीक्षक मनदीप सिंह सिद्धू भी शामिल थे, जिन्होंने डल्लेवाल से कहा कि वे कोई भी स्थान चुन सकते हैं और उनका केवल आवश्यक इलाज ही किया जायेगा।किसान कई मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें से एक, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी भी है। सुरक्षाबलों द्वारा दिल्ली में प्रवेश से रोके जाने के बाद से किसान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू तथा खनौरी बार्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

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