कर्नाटक MUDA मामला: कर्नाटक में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण MUDA से जमीन आवंटन मामले में CM सिद्धारमैया निशाने पर आ गए हैं। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने इस मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इसके बाद राजनीतिक घमासान देखने को मिल रहा है।कर्नाटक में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण से जमीन आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ गई है।
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आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी, पार्वती, को 2021 में MUDA द्वारा एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। आरोप है कि इन साइटों का आवंटन नियमों के खिलाफ था और यह अनियमितता की श्रेणी में आता है। पार्वती की केसारे गांव की जमीन को MUDA ने अधिग्रहित किया और इसके बदले में उन्हें विजयनगर में अधिक मूल्य वाली साइटें दी गईं। विपक्ष का दावा है कि इन साइटों का बाजार मूल्य केसारे में मूल जमीन से कहीं अधिक था, जिससे मुआवजे की वैधता पर सवाल उठते हैं। बीजेपी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने के राज्यपाल के आदेश के बाद हमलावर है।
बता दें, दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भाजपा नेता संबित पात्रा और तेजस्वी सूर्या ने बड़े आरोप लगाए हैं।बीजेपी ने मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की मांग की है। वहीं कांग्रेस मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बचाव में आ गई है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि संवैधानिक पदों का राजनीतिकरण तब से चल रहा है जब से भाजपा सत्ता में आई है।हर चीज पर संदेह और सवालिया निशान है जब भी राज्यपाल कुछ करते हैं, तो उस पर बड़ा सवालिया निशान लग जाता है।पवन खेड़ा ने कहा कि मुझे यकीन है कि इसमें कुछ भी नहीं है।अनावश्यक चीजों का राजनीतिकरण करना गलत है।
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इस मामले पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी बयान दिया। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि यह आवंटन बीजेपी सरकार के दौरान किया गया था और जमीन का मूल्य केसारे की मूल भूमि से कम है।सीएम ने कहा कि यदि कोई कानून का उल्लंघन साबित हो, तो उसे बताए और वे आवश्यक कदम उठाएंगे।मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि पूरा मंत्रिमंडल, पार्टी हाईकमान, सभी विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसद मेरे साथ हैं।
सीएम सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की अनुमति दिए जाने पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि 1 अगस्त को हमने कैबिनेट की बैठक की और राज्यपाल से निर्णय वापस लेने की मांग की है,हमने उनसे यह भी कहा कि शिकायत में कोई दम नहीं है और शिकायत को खारिज करके लोकतंत्र को बचाया जाना चाहिए।
बहरहाल इस मामले में मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी और अन्य के खिलाफ दो निजी शिकायतें दायर की गई हैं, जिनकी सुनवाई विशेष अदालत द्वारा की जा रही है। न्यायाधीश ने शिकायत की स्वीकार्यता पर 20 अगस्त, 2024 तक आदेश सुरक्षित रख लिया है।साथ ही, राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया है, जो कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पीएन देसाई की अध्यक्षता में काम करेगा।
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