(प्रदीप कुमार): लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने आज गांधीनगर में गुजरात विधान सभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल; गुजरात विधान सभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी और कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस अवसर पर ओम बिरला ने कहा कि गुजरात की 15वीं विधान सभा युवाशक्ति और अनुभव का अनूठा मेल है। अध्यक्ष महोदय ने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि विधान सभा में 82 नवनिर्वाचित सदस्य हैं और 15 महिलाएं निर्वाचित हुई हैं, जिनमें से 8 पहली बार सदस्य बनी हैं।
निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका का उल्लेख करते हुए, ओम बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उन पर मतदाताओं की समस्याओं के समाधान की बड़ी जिम्मेदारी है, इसलिए विधानमंडलों में चर्चा और संवाद होना चाहिए और चर्चा का स्तर उच्चतम स्तर का होना चाहिए। ओम बिरला ने कहा कि राज्य विधान सभाओं में चर्चा और संवाद का स्तर जितना ऊंचा होगा, कानून उतने ही बेहतर बनेंगे। सदन में सार्थक चर्चा करने के लिए यह आवश्यक है कि सदस्यों को नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी हो। इसलिए सदन को चर्चा और संवाद का एक प्रभावी केंद्र बनना चाहिए ताकि हमारा लोकतंत्र मजबूत बने।
पीठासीन अधिकारियों की भूमिका का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारी का यह दायित्व है कि वह सदन की गरिमा बढ़ाने की दिशा में कार्य करें। सदनों में चर्चा के स्तर में गिरावट और सदन की गरिमा में गिरावट हमारे लिए चिंता का विषय है। एक उत्कृष्ट विधायक वही होता है जो उत्कृष्ट गुणवत्तापूर्ण चर्चा और संवाद में भाग लेता है और सदन की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। सदस्यों को तथ्यों के साथ अपनी बात रखनी चाहिए क्योंकि निराधार आरोपों पर आधारित तर्क लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।
लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, स्पीकर बिरला ने कहा कि विपक्ष की भूमिका सकारात्मक, रचनात्मक और शासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली चाहिए। लेकिन जिस तरह सुनियोजित तरीके से सदनों की कार्यवाही में बाधा डालकर सदनों का कार्य स्थगित करने की परंपरा डाली जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। सदन में चर्चा, वाद-विवाद, असहमति हो, लेकिन सदन में गतिरोध कभी नहीं होना चाहिए। उन्होंने सदस्यों से सदन के नियमों और प्रक्रियाओं और विगत वर्षों के वाद-विवाद का अध्ययन करने का आग्रह किया। ओम बिरला ने कहा कि सदस्य नियमों, प्रक्रियाओं और पिछले वर्षों में हुए वाद-विवाद से जितने अधिक परिचित होंगे, उनके भाषण उतने ही समृद्ध होंगे। ओम बिरला ने यह भी कहा कि नारे लगाने और विधान सभा की कार्यवाही में बाधा डालने से कोई भी श्रेष्ठ विधायक नहीं बन सकता।
‘वन नेशन, वन डिजिटल प्लेटफॉर्म’ का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप काम चल रहा है ताकि सभी राज्यों की विधान सभाओं और उनके द्वारा पारित कानूनों पर हुए वाद-विवाद और चर्चा को एक मंच पर लाया जा सके। इस संदर्भ में, ओम बिरला ने विधानमंडलों की दक्षता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग और शोध कार्य को मजबूत करने पर बल दिया।
भारत की जी-20 अध्यक्षता के बारे में बोलते हुए, ओम बिरला ने कहा कि यह भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने का एक ऐतिहासिक अवसर है। बाद में, ओम बिरला ने गांधीनगर में प्रेस से बातचीत की। इस अवसर सभा को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल ने कहा कि गुजरात एक आदर्श राज्य है जो देश के विकास इंजन के रूप में विकसित हुआ है।
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इस प्रबोधन कार्यक्रम के भाग के रूप में, गुजरात विधान सभा के सदस्यों को ‘प्रभावी विधायक कैसे बनें?’; ‘समिति प्रणाली और संसदीय प्रश्न’; ‘बजटीय प्रक्रिया’; ‘विधायी प्रक्रिया’; ‘जी-20 में भारत की अध्यक्षता’; ‘सदन में अविलंबनीय लोक महत्व के मामलों को उठाने के प्रक्रियात्मक साधन; विधानमंडलों का कार्यकरण : क्या करें और क्या न करें’; ‘संसदीय विशेषाधिकार और आचार; और ‘लोकतंत्र में संवैधानिक निकायों का महत्व’ के विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का समापन 16 फरवरी, 2023 को गुजरात के राज्यपाल, आचार्य देवव्रत के भाषण के साथ होगा। गुजरात विधानमंडल के सदस्यों के लिए इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा गुजरात विधान सभा सचिवालय के सहयोग से किया जा रहा है।