Lok Sabha Speaker Om Birla : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित ‘पंचायत से संसद 2.0’ कार्यक्रम का उद्धघाटन किया।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देश के विकास में महिलाओं ने योगदान को अहम बताते हुए कहा कि लोकतंत्र हमारी विरासत है।ओम बिरला ने कहा कि हमारा उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों की महिला जनप्रतिनिधियों को सशक्त बनाना है।
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पंचायत से लेकर संसद तक हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था खास है। दुनिया के अंदर भारत ही एकमात्र देश है जहां पंचायत में भी लोकतंत्र है और देश में सबसे बड़ी संस्था के रूप में संसद में भी लोकतंत्र है इसलिए हम कहते हैं कि लोकतंत्र हमारी विरासत है। लोकतंत्र हमारी प्राचीन सभ्यता है। लोकतंत्र हमारे विचारों और कार्यप्रणाली में है। इसीलिए भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है।लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि आजादी की लड़ाई की पहली शुरुआत 1857 में रानी झांसी ने की थी। इस आजादी के आंदोलन के संघर्ष में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हमारे देश के लोकतंत्र की सबसे मजबूत संस्था पंचायत है। इसमें महिलाओं के नेतृत्व से जनजातीय क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक विकास, महिलाओं को स्वावलंबी बनाना, कुटीर उद्योग को आगे बढ़ाने का काम हो रहा है।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि डिजिटल भारत के युग में भारत की संसद भी निरंतर नवाचारों को अपना रही है। डिजिटल संसद मोबाईल ऐप के बाद डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित ‘संसद भाषिणी’ का उपयोग निरंतर हमारी विधायी प्रक्रिया को उन्नत बना रहा है।ओम बिरला ने महिला जन प्रतिनिधियों से आह्वान किया कि अपने-अपने क्षेत्र में AI, मशीन लर्निंग और अन्य नवाचारों को स्वीकार कर पंचायतों को अधिक जनहित में बनाने की दिशा में कार्य करें।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आगे कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में ओम बिरला ने भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए कहा कि 150 वर्ष पूर्व बिरसा मुंडा ने देश की आजादी और जनजाति क्षेत्र के लिए संघर्ष किया था।इस मौके पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने भी संबोधित किया और महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए अपने विचार रखें।पंचायत से पार्लियामेंट सम्मेलन में 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की अनुसूचित जनजातियों की पांच सौ से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हिस्सा ले रहीं है।