लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने केआईआईटी स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी का उद्घाटन किया

Lok Sabha Speaker Om Birla:

Lok Sabha Speaker Om Birla:लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) में केआईआईटी स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी का उद्घाटन किया।

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सभा को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा राष्ट्र निर्माण का आधार है, जो अपनी और समाज की प्रगति के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और मूल्यों से व्यक्ति को सशक्त बनाती है। बिरला ने कहा कि केआईआईटी स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी की स्थापना सही दिशा में उठाया गया एक कदम है।ओम बिरला ने यह भी  कहा कि एक शिक्षित समाज नवाचार, आर्थिक विकास और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है, जिससे देशवासी सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं और इससे पूरे देश को लाभ होता है।
भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की सुदृढ़ता के बारे में बात करते लोकसभा अध्यक्ष  ने कहा कि लोग स्वयं अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के संरक्षक हैं। लोकतंत्र की रक्षा के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि जब भी लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करने का प्रयास किया गया है, लोगों ने ऐसी चुनौतियों के खिलाफ दृढ़तापूर्वक आवाज उठाई है । यह प्रतिबद्धता हर चुनाव और आंदोलन में स्पष्ट दिखाई देती है, जो सुनिश्चित करती है कि लोकतंत्र प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवंत और शाश्वत बना रहे।
देश के आर्थिक परिदृश्य पर चर्चा करते हुए, ओम बिरला ने कहा कि भारत में विधि का शासन होने के कारण यहाँ विदेशी निवेश बढ़ रहा है । इस बारे में विस्तार से बताते हुए, उन्होंने कहा कि भारत के कानूनी ढांचे की स्थिरता और पूर्वानुमेयता से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व में भारत का महत्व बढ़ रहा है । बिरला ने कहा कि एक सुस्थापित न्यायपालिका और पारदर्शी नियामक प्रक्रियाओं के साथ, भारत से निवेशकों को निष्पक्षता और विश्वसनीयता का आश्वासन मिलता है और यहाँ ऐसा माहौल बनाता है जहाँ व्यवसाय फल-फूल सकते हैं। विधि का यह शासन न केवल निवेशकों के हितों की रक्षा करता है बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि और विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते महत्व का उल्लेख करते हुए, लोक सभा अध्यक्ष ने वसुधैव कुटुम्बकम के प्राचीन भारतीय दर्शन पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि पूरा विश्व एक परिवार है – यह भावना सांस्कृतिक और राष्ट्रीय सीमाओं से परे  वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिर का लक्ष्य  प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। श्री बिरला ने कहा कि एकता और सहयोग की इस भावना को अपनाकर देश सामूहिक रूप से वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और पूरी मानवता के लिए सद्भाव और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
ओम बिरला ने कहा कि लोक नीति को हमारे समुदाय की विविध आवश्यकताओं को समझते  हुए सब को साथ लेकर चलने  का प्रयास करना चाहिए। इस बारे में विस्तार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब नीतियां सभी व्यक्तियों के विचारों और अनुभवों को ध्यान में रखकर बनाई जाती  हैं, तो वे अपनेपन की भावना को बढ़ावा देती हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करती हैं। समुदाय की सामूहिक शक्ति का उपयोग करके, समावेशी समाधान किए जा  सकते हैं जिससे न केवल सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं बल्कि वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान भी प्रभावी ढंग से होता है और  यह भी सुनिश्चित होता है कि कोई भी पीछे न छूटे।
अपने संबोधन के अंत में, लोक सभा अध्यक्ष ने लोकतंत्र को मजबूत करने में विविधता के महत्व के बार में बात  की। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के समृद्ध ताने-बाने से इसकी जीवंतता बढ़ी है। उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभावी नेतृत्व का भी उल्लेख करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण से अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत में प्रगति और उन्नति हुई है।
इससे पहले, ओम बिरला ने भुवनेश्वर में कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज  (के.आई.एस.एस.) के विद्यार्थियों से बातचीत की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि के.आई.एस.एस. स्थानीय आदिवासी विद्यार्थियों को शिक्षित करके उनके व्यक्तित्व का  विकास कर रहा है और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को साकार करने की जिम्मेदारी साहस और आत्मविश्वास से परिपूर्ण प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के कंधों पर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा वर्ग भारत की उन्नत और उज्ज्वल विकास यात्रा में अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाएंगे।

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