(प्रदीप कुमार) इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए ओम बिरला ने कहा कि युवाओं में समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की अपार शक्ति और क्षमता है। ओम बिरला ने कहा कि समाज को युवाओं से बहुत अपेक्षाएं हैं और यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे आगे बढ़कर उन अपेक्षाओं को पूरा करें। छात्रों से जीवन में असफलताओं से निराश न होने का आग्रह करते हुए, श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि सफलता और असफलता जीवन का हिस्सा है और छात्रों को हर चुनौती को एक नए अवसर के रूप में लेना चाहिए।
सबसे पहले, छात्रों को अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और एक बार लक्ष्य निर्धारित हो जाने के बाद अपने सामने आने वाली बाधाओं से हार माने बिना पूरे अनुशासन और निष्ठा के साथ लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयास करने चाहिए। ओम बिरला ने कहा कि ऐसा करने से सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा। श्री बिरला ने विद्यार्थियों को आगाह किया कि वे जीवन में आत्मसंतुष्ट न हों क्योंकि आत्मसंतुष्टि उत्कृष्टता के मार्ग में बाधा है।
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों और AI आधारित परिवर्तनों के बारे में उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने सलाह दी कि हमें प्रौद्योगिकी का उपयोग करते समय मानवीय दृष्टिकोण को नहीं भूलना चाहिए। तकनीक और परंपरा को साथ लेकर चलना चाहिए। इस संयोजन से ही समाज में सही दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए जा सकते हैं। ओम बिरला ने सुझाव दिया कि छात्रों को अपने शोध और नवाचार के माध्यम से लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों के बारे में समाज में जागरूकता उत्पन्न करनी चाहिए और उन मुद्दों के समाधान के लिए काम भी करना चाहिए।
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उन्हें गांवों तक पहुंच कर ग्रामवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों को अनुभव करना चाहिए और अपने इन अनुभवों के आधार पर समस्याओं का समाधान करना चाहिए। ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि हमारा अंतिम उद्देश्य समाज की पंक्ति में अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना और उसके जीवन को बेहतर बनाना है।
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