Manmohan Singh Death News: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शुक्रवार यानी की आज 27 दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रपति भवन और संसद भवन समेत कई सरकारी दफ्तरों में तिरंगा आधा झुका दिया गया है। भारत में आर्थिक सुधारों के जनक डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में निधन हो गया। भारत सरकार ने शुक्रवार के लिए निर्धारित सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।
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दरअसल, आर्थिक सुधारों के प्रणेता देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार 26 दिसंबर की रात दिल्ली में 92 साल की उम्र में निधन हो गया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली ने सिंह के निधन का ऐलान किया। उन्हें गंभीर हालत में रात करीब साढ़े आठ बजे एम्स के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। दिल्ली एम्स ने एक बुलेटिन में कहा कि 26 दिसंबर को ‘‘उनका उम्र संबंधी चिकित्सा उपचार जारी था और वे घर पर अचानक बेहोश हो गए।’’ बुलेटिन में कहा गया, ‘‘उन्हें घर पर तत्काल होश में लाने के प्रयास किए गए। जिसके बाद रात आठ बजकर छह मिनट पर दिल्ली एम्स लाया गया। तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें होश में नहीं लाया जा सका और रात 9.51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।’’
बता दें, मनमोहन सिंह ने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में 2004 से 2014 तक 10 सालों तक देश का नेतृत्व किया। पिछले कुछ माह से उनका स्वास्थ्य खराब था। उनके परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं। मनमोहन सिंह के अस्पताल में भर्ती होने की खबर मिलते ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और सोनिया गांधी अस्पताल पहुंचीं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र के 10 सालों तक प्रधानमंत्री रहे सिंह को दुनिया भर में उनकी आर्थिक विद्वता और कार्यों के लिए सम्मान दिया जाता है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सात दिन का राष्ट्रीय शोक मनाया जाएगा और सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
मनमोहन सिंह को एक बेहतरीन अर्थशास्त्री के तौर पर जाना जाता है। वे 1991 में देश में हुए आर्थिक सुधारों के जनक और विचारक थे जिसने भारत को दिवालियापन के कगार से बाहर निकाला और आर्थिक उदारीकरण के एक ऐसे युग का सूत्रपात किया, जिसके बारे में माना जाता है कि इसने भारत की आर्थिक प्रगति की दिशा बदल दी। वे तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे। वित्त मंत्री के रूप में सिंह की नियुक्ति स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। इसने साहसिक आर्थिक सुधार, लाइसेंस राज का उन्मूलन और कई क्षेत्रों को निजी और विदेशी कंपनियों के लिए खोला।
पूर्व आरबीआई गवर्नर के रूप में उन्हें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), रुपए के अवमूल्यन, करों में नरमी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण की अनुमति देने का श्रेय दिया जाता है। सिंह का निधन ऐसे वक्त हुआ जब कांग्रेस पार्टी कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक आयोजित कर रही थी। इसमें पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को शामिल होना था। उनकी नीतियों ने ही भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण की दिशा में ले जाने का काम किया। वे1996 तक वित्त मंत्री के तौर पर आर्थिक सुधारों को अमलीजामा पहनाते रहे। मनमोहन सिंह को मई 2004 में देश की सेवा करने का एक और मौका मिला और इस बार वह देश के प्रधानमंत्री बने। अगले 10 सालों तक उन्होंने देश की आर्थिक नीतियों और सुधारों को मार्गदर्शन देने का काम किया।
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उनके कार्यकाल में ही 2007 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर नौ प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंची और दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया। वे 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) लेकर आए और बिक्री कर की जगह मूल्य वर्धित कर (वैट) लागू हुआ। इसके अलावा डॉ. सिंह ने देश भर में 76,000 करोड़ रुपये की कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना लागू कर करोड़ों किसानों को लाभ पहुंचाने का काम किया। उन्होंने 2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी के समय भी देश का नेतृत्व किया और मुश्किल स्थिति से निपटने के लिए एक विशाल प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। उनके कार्यकाल में ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के माध्यम से ‘आधार’ की शुरुआत हुई।
इसके अलावा उन्होंने वित्तीय समावेशन को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया और प्रधानमंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान देश भर में बैंक शाखाएं खोली गईं। भोजन का अधिकार और बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम जैसे अन्य सुधार भी उनके कार्यकाल में हुए। मनमोहन सिंह अकेले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बिना कोई चुनाव लड़े प्रधानमंत्री पद संभाला। उन्होंने इसी साल तीन अप्रैल को राज्यसभा में अपनी 33 साल लंबी संसदीय पारी खत्म की।
