Maoists: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव डी. राजा ने सोमवार को कहा कि माओवादियों ने संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा है और ऐसे में केंद्र सरकार को उनके साथ बातचीत करनी चाहिए।उन्होंने वामपंथी उग्रवाद की तुलना ‘‘दक्षिणपंथी उग्रवाद’’ से की और सवाल किया कि अंततः दोनों में कौन ज्यादा खतरनाक है।Maoists:
डी. राजा ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवादियों के साथ बातचीत करने को तैयार क्यों नहीं है।उनका कहना था, ‘‘माओवादी सरकार के साथ बातचीत चाहते हैं। उन्होंने संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा है… भारत सरकार इसे स्वीकार क्यों नहीं कर रही है? Maoists:’’
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उन्होंने कहा, ‘‘ क्या सरकार हमें बता सकती है कि कितने माओवादी मारे गए, कितने आदिवासी मारे गए? ’’डी. राजा ने दावा किया कि यह सरकार आदिवासियों को जंगलों और ज़मीनों से बेदखल करने की कोशिश कर रही है और ये जंगल अडाणी जैसे लोगों को सौंपना चाहती है।उन्होंने सरकार के ‘‘नक्सल मुक्त भारत’’ बनाने के बयान पर सवाल उठाया और कहा, ‘‘कांग्रेस मुक्त भारत का क्या हुआ? कल वे कम्युनिस्ट मुक्त भारत कहेंगे… हमारा एक संविधान है और उन्हें समझना चाहिए, यह संविधान स्पष्ट है, भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है।’’डी. राजा ने कहा, ‘‘अगर हमें भारत को बचाना है, संविधान को बचाना है, तो हमें भाजपा और आरएसएस को सत्ता से हटाना होगा।’’Maoists
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गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को माओवादियों द्वारा दिए गए संघर्ष विराम के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि अगर चरमपंथी हथियार डालकर आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है और सुरक्षा बल उन पर एक भी गोली नहीं चलाएंगे।अमित शाह ने कहा, ”हाल ही में भ्रम फैलाने के लिए एक पत्र लिखा गया, जिसमें कहा गया कि अब तक जो कुछ हुआ है वह एक गलती है, संघर्ष विराम घोषित किया जाना चाहिए और हम (नक्सली) आत्मसमर्पण करना चाहते हैं।Maoists
मैं कहना चाहता हूं कि कोई संघर्ष विराम नहीं होगा। अगर आप आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, तो संघर्ष विराम की कोई जरूरत नहीं है। हथियार डाल दें, एक भी गोली नहीं चलेगी।”अमित शाह ने कहा कि अगर नक्सली आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, तो उनके लिए ”लाभदायक” पुनर्वास नीति के साथ भव्य स्वागत किया जाएगा।Maoists