Rashatrpati Bhavan: मोदी सरकार में भारत में बहुत सी जगहों के नाम बदले गए हैं। इन जगहों के नाम बदलकर एक नया नाम दिया गया है। जिसका मुख्य कारण था ‘गुलामी की सोच से मुक्ति पाना’। नाम बदलने के इस सिलसिले में अब राष्ट्रपति भवन का दरबार हॉल और अशोक हॉल भी शुमार हो गया। दरबार हॉल का नाम बदलकर गणतंत्र मंडप और अशोक हॉल का नाम बदलकर अब अशोक मंडप कर दिया गया है। आइए जानते है क्या है नाम बदलने के पीछे की असल वजह ?
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क्यों बदला गया अशोक हॉल और दरबार हॉल का नाम ?
बता दें, राष्ट्रपति भवन में दरबार हॉल वह जगह है जहां पर राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। अशोक हॉल एक तरह से बॉल रूम है। वहीं दरबार हॉल में बहुत से सरकारी आयोजन भी चुके हैं। असल में इनका नाम बदलने के पीछे ये ही दलीलें दी जा रही हैं कि यह नाम गुलामी की याद दिलाता है और गुलामी की सोच से मुक्ति पाने के संदर्भ में ही पहले भी बहुत सी जगहों के नाम बदले जा चुके हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि दरबार शब्द अंग्रेजों के समय की याद दिलाता है। अब इनका नाम अंग्रेजी भाषा से हटाकर भारत की मातृभाषा में तब्दील किया गया है। दरबार शब्द को अंग्रेजों की सभाओं, दलीलों और अदालतों से जोड़कर देखा जा रहा है।
इसके अलावा सरकार के द्वारा बयान में कहा गया है कि अशोक शब्द से तात्पर्य यह है कि वह व्यक्ति जो सभी कष्टों से दूर हो या किसी भी दुख से जुड़ा ना हो। यहां पर अशोक का मतलब सम्राट अशोक से है। जो एकता और शांतिपूर्ण को दर्शाता है, यह शब्द अशोक वृक्ष को भी दर्शाता है। जो कि भारतीय धार्मिक परंपराओं के साथ कला और संस्कृति से भी गहरा संबंध रखता है।
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नाम बदलने के फैसले पर प्रियंका गांधी ने किया सरकार का घेराव
दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदले जाने को लेकर विपक्ष हमलावर हो गया है। प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार का घेराव करते हुए कहा है कि, “ दरबार की कोई अवधारणा नहीं है, लेकिन ‘शहंशाह’ की अवधारणा जरूर है।”
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