जानबूझकर खाद की किल्लत पैदा कर रही है BJP सरकार या है गैर जिम्मेदार- हुड्डा

Political News: Is BJP government deliberately creating fertilizer shortage or is it irresponsible - Hooda,

Political News: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया है कि राज्य की बीजेपी सरकार द्वारा जानबूझकर खाद की किल्लत पैदा की जा रही है। हुड्डा ने कहा कि बीजेपी का मकसद किसानों को घाटे में धकेलना है। यही वजह है कि 10 साल से सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी कभी भी किसानों को समय पर पूरा खाद मुहैया नहीं करवा पाई। जब से भाजपा सत्ता में आई है, उसने किसानों को खाद और मंडी की कतारों में खड़ा कर रखा है। हर फसली सीजन में खाद्य केंद्रों पर किसानों को लंबी-लंबी कतारों में कई-कई घंटे, कई-कई दिन इंतजार करना पड़ता है। लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पाती। पिछले दस साल से किसानों के साथ यही गैर जिम्मेदाराना रवैया रहा है।

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हुड्डा ने कहा कि जब फसल बेचने का वक्त आता है, तब भी उन्हें कई-कई दिन इंतजार करवाया जाता है। लेकिन उन्हें एमएसपी नहीं दी जाती। थानों के भीतर खाद बांटने का दुर्भाग्यपूर्ण नजार बीजेपी सरकार ने ही किसानों को दिखाया है। बावजूद इसके हैरानी की बात है कि सरकार द्वारा लगातार झूठे दावे किए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि खाद की कोई कमी नहीं है व उसके पास उचित मात्रा में खाद है। जबकि किसान एक-एक बैग खाद के लिए तरस रहे हैं। भारी भीड़ और लंबी कतारों में फंसे किसान धक्का-मुक्की, हाथापाई और पुलिसिया लाठीचार्ज के शिकार हो रहे हैं। सरकार को बताना चाहिए कि अगर उसके पास उचित मात्रा में खाद है तो वह किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा?

हुड्डा ने कहा कि सच्चाई यह है कि हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर में किसानों को लगभग 2.8 लाख टन डीएपी की जरूरत होती है। लेकिन इस बार अब तक किसानों को सिर्फ 1.20 लाख टन डीएपी खाद ही मिल पाया है। सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह जानबूझकर खाद की किल्लत पैदा कर रही है। नैनो डीएपी की बिक्री बढ़ाने के लिए परंपरागत डीएपी की किल्लत खड़ी की जा रही है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार की इस अनदेखी के चलते अब किसानों का सब्र जवाब देने लगा है। मजबूरन उन्हें सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है। बीजेपी के पास अपनी जिम्मेदारी से बचने का कोई बहाना नहीं है। क्योंकि लगातार दो कार्यकाल से प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार है। अब नई सरकार को भी अपने हनीमून पीरियड से बाहर निकाल कर किसानों की समस्याओं की तरफ ध्यान देना चाहिए। बीजेपी को अब अपने चुनावी वादों पर जवाब देना होगा।

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हुड्डा ने आगे कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि वादे के मुताबिक बीजेपी किसानों को धान का 3100 रुपये रेट क्यों नहीं दे पाई? आखिर किसानों को एमएसपी से कम रेट पर अपनी फसल क्यों बेचनी पड़ी? इतने साल से सत्ता में होते हुए भी बीजेपी खाद वितरण की प्रक्रिया को सुचारू क्यों नहीं कर पाई? क्यों हर बार किसानों को जरूरत के वक्त खाद के लिए तरसाया जाता है? सरकार की नीतियों के चलते हर बार किसानों को हो रहे घाटे की भरपाई कौन करेगा?

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