Rajasthan: राजस्थान के जयपुर में एक पहाड़ी की चोटी पर नाहरगढ़ और जयगढ़ के किलों के बीच स्थापित एक मंदिर है, जो शहर से भी पुराने किस्से-कहानियों को खुद में समेटे हुए है, जी हां, इसका नाम है गढ़ गणेश मंदिर। यहां भगवान गणेश की पूजा एक दुर्लभ तरीके से की जाती है, यहां भगवान गणेश बिना सूंड वाले एक बालक के रूप में हैं, मान्यता है कि ये भगवान गणेश का प्रारंभिक अवतार है। Rajasthan
Read Also: पालघर में इमारत का एक हिस्सा ढहने से 2 लोगों की मौत, 9 अन्य घायल
शहर के इतिहासकारों की मानें तो महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने जयपुर शहर की नींव रखने से लगभग 450 साल पहले इस मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर के लिए जगह का चुनाव बेहद सावधानी से किया गया था, ताकि महाराजा अपने महल से रोजाना भगवान गणेश के दर्शन कर सकें। श्रद्धालुओं को इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं…यानी साल के हर दिन के लिए एक सीढ़ियां, जिससे भक्तों को साल भर भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है। Rajasthan
Read Also: फिडे विश्व कप की मेजबानी करना भारत के लिए खुशी की बात- PM Modi
इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार श्रद्धालुओं को भक्ति-भावना के साथ सात हफ्तों तक कठोर दिनचर्या का पालन करना पड़ता है और ऐसा करने से उनकी मनचाही इच्छाएं पूरी होती हैं। इस प्राचीन मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश की सवारी मूषक खड़ा है। परंपरा के अनुसार मूषक के कान में धीरे से कही गई कोई भी इच्छा गणेश जी तुरंत सुन लेते हैं और उसे पूरा भी करते हैं। गढ़ गणेश मंदिर श्रद्धालुओं के बीच बेहद आस्था और गहरी मान्यता के साथ क्षेत्रीय लोककथाओं से जुड़ा हुआ है, इसके साथ ही ये मदिर जयपुर के समृद्ध इतिहास का गवाह है और सदियों की खामोशी ओढ़े हुए गुलाबी शहर पर नजर रख रहा है। Rajasthan