Parliament Monsoon Session: उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के फैसले के बाद आज नियम 267 के तहत कोई नोटिस दायर नहीं किया गया। सभापति ने 24 जुलाई को सदन की कार्रवाई के दौरान नियम 267 के लगातार उपयोग के संबंध में सांसदों से आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान किया था। उन्होंने इसे प्रावधान का “अविवेकपूर्ण उपयोग” बताया था।
Read also-हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बादल फटने से आई बाढ़ में कई घर बहे, बचाव कार्य में जुटा प्रशासन
संसद के उच्च सदन में बोलते हुए सभापति ने कहा था कि नियम 267 के इस्तेमाल की अनुमति केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जा सकती है। उन्होंने कहा था कि पिछले 36 वर्षों में केवल 6 मौकों पर ही इस संबंध में अनुमति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि, “बैठक के हर दिन, मुझे ऐसे कई अनुरोध मिलते हैं। इसे एक आदत की तरह लिया जा रहा है। सभापति धनखड़ ने कहा, ”यह अपने आप में एक बेतुका प्रयास बनकर रह गया है।”
Read also-Andhra Politics: CM चंद्रबाबू नायडू ने जगन मोहन रेड्डी पर की ये टिप्पणी ,गरमाई सियासत
नियम संख्या 267 राज्य सभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली का हिस्सा है। सदस्यों को अति-आवश्यक मामलों पर चर्चा करने के लिए यह प्रावधान नियमों के निलंबन हेतु आगे बढ़ने की अनुमति देता है। सभापति धनखड़ ने बार-बार सदस्यों को नियम संख्या 267 को लागू करने के प्रति आगाह किया क्योंकि इससे सदन की कार्यवाही बाधित होती है। उन्होंने कल राजयासभा मे जोर देते हुए कहा कि, “संकेतानुसार कार्य करने के लिए सदन की कार्यवाही को निलंबित करने की मांग करना अत्यंत गंभीर विषय है। राजनीतिक दलों के नेताओं को इस मुद्दे पर निर्णय लेने की जरूरत है।”संबंधित प्रावधान से संबंधित कोई नोटिस आज प्राप्त नहीं हुआ। संसद के उच्च सदन में सभापति की टिप्पणी के बाद उनके इस वक्तव्य को सदस्यों के पोर्टल पर भी अपलोड किया गया था।
(प्रदीप कुमार)
