रोहतक(देवेंद्र शर्मा)। रोहतक जिले के रिठाल गांव का रहने वाला सूरज वशिष्ठ 55 किलो ग्रीको रोमन कुश्ती में विश्व चैंपियन बन गया है। जब इटली में राष्ट्रीय गान के साथ तिरंगा ऊपर जा रहा था तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा। अंडर-17 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर सूरज वशिष्ठ रोहतक स्थित मेहर सिंह अखाड़े में पहुंच गया। परिवार की स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है, 1 एकड़ खेती पर पूरा परिवार निर्भर है। लेकिन फिर भी कोच तथा दोस्तों के सहयोग और परिवार की मदद से आज उसने इस मुकाम को हासिल किया है। अब उसका लक्ष्य एशियन चैंपियनशिप, कॉमन वेल्थ गेम तथा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है।
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योगेश्वर दत्त तथा बजरंग पुनिया को आइडल मानकर कुश्ती की शुरुआत करने वाले सूरज वशिष्ठ 16 साल की उम्र में ही इन पहलवानों की राह पर चल पड़े है। इटली में आयोजित अंडर-17 विश्व चैंपियनशिप में 55 किलो ग्रीको रोमन गोल्ड मेडल जीतकर लक्ष्य की तरफ अपना कदम बढ़ा दिया है। सूरज ने कहा कि मेडल जीतकर जहां उन्हें काफी खुशी हुई हो रही है। वहीं पूरा देश व प्रदेश उनकी जीत पर काफी खुश है। इस जीत तक पहुंचने के लिए परिवार की स्थिति अच्छी न होने के बावजूद भी परिवार ने उनका भरपूर सहयोग किया है।
यही नहीं उनके दोस्तों तथा कोच ने उनकी काफी मदद की है। वे सुबह 4:00 बजे प्रैक्टिस करने लग जाते हैं और उसी प्रैक्टिस का नतीजा है कि आज हमने यह साबित कर दिया है कि ग्रीको रोमन कुश्ती में भी हम पीछे नहीं हैं। उसने कहा कि अब उनका अगला लक्ष्य कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स तथा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का है। जिसके लिए वह अभी से मेहनत शुरू कर देंगे।
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