समीर वानखेड़े ने खटखटाया दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा, जानिए क्या है मामला

Sameer Wankhede: भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी और स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े ने अभिनेता शाहरुख खान और गौरी खान के स्वामित्व वाली कंपनी ‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट’ और ‘नेटफ्लिक्स’ के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में बृहस्पतिवार को मानहानि का मुकदमा दायर किया।वानखेड़े ने इन कंपनियों पर वेब सीरीज ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ के जरिये उनकी प्रतिष्ठा को कथित रूप से धूमिल करने का आरोप लगाया है।वानखेड़े ने आरोप लगाया है कि नेटफ्लिक्स पर प्रसारित एक वेब सीरीज में उन्हें लेकर झूठे, अपमानजनक और मानहानि वाले तथ्य दिखाए गए हैं।Sameer Wankhede

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उन्होंने अदालत से सीरीज पर स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा लगाने के अलावा ‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट, नेटफ्लिक्स समेत बाकियों को मुआवजे का आदेश देने का अनुरोध किया है।वानखेड़े ने क्षतिपूर्ति के रूप में दो करोड़ रुपये की मांग की है और इस रकम को उन्होंने कैंसर रोगियों की मदद के लिए टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल को दान करने की इच्छा जताई है। वानखेड़े का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं में से एक आदित्य गिरि ने दावा किया, ‘‘ये सीरीज मादक पदार्थ-निरोधक प्रवर्तन एजेंसियों का भ्रामक और नकारात्मक चित्रण करती है, जिससे कानून प्रवर्तन संस्थानों में जनता का भरोसा खत्म होता है।’’Sameer Wankhede

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याचिका में कहा गया है कि सीरीज को जानबूझकर वानखेड़े की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के इरादे से तैयार किया गया है, खासकर ये सीरीज ऐसे समय में बनी है जब याचिकाकर्ता और शाहरुख खान के बेटे आर्यन से जुड़ा मामला मुंबई उच्च न्यायालय और स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) से संबंधित विशेष अदालत के समक्ष विचाराधीन है।Sameer Wankhede

याचिका में दावा किया गया है कि सीरीज में एक पात्र को खासकर ‘सत्यमेव जयते’ का नारा बोलने के बाद अपने हाथ की बीच वाली उंगली दिखाते हुए अश्लील इशारे करते हुए दिखाया गया है, जबकि ‘सत्यमेव जयते’ स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय प्रतीक का हिस्सा है।इसमें कहा गया है कि ये कृत्य राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के प्रावधानों का गंभीर और संवेदनशील उल्लंघन है, जिसके लिए कानून के तहत दंड के प्रावधान किये गये हैं।याचिका में कहा गया है कि सीरीज में अश्लील और आपत्तिजनक विषय-वस्तु के उपयोग से राष्ट्रीय भावनाओं को आहत करने की कोशिश की गई है और ये सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करती है।Sameer Wankhede

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