(अजय पाल) उत्तराखंड में शुरू की गयी चार धाम यात्रा पूरी तरह धार्मिक यात्रा है। साधु संतों ने यात्रा के बारे में कहा इस यात्रा को पिकनिक के तौर पर न देखा जाए। दरअसल यह बात इसलिए उठी है कि बीते कुछ सालों से चारधाम यात्रा में बड़ा बदलाव देखने को मिला। चार धाम यात्रा में आने वाले यात्री मौज मस्ती के लिए पहाड़ों का रुख करते है। जिसको लेकर संत समाज ने एतराज उठाया। जिसके बाद अधिकारियों ने ने देवभूमि में आने वाले यात्रियों से यात्रा को पवित्र बनाए रखने की अपील की।
आपको बता दे कि एक दौर ऐसा भी था। जब श्रद्धालु अपने जीवन की सभी जिम्मेदारियों को निभाने के बाद वह चार धाम यात्रा के लिए जाते थे। आज की तरह उस समय में न अच्छी सडके थी न हवाई जहाज की सुविधा उपलब्ध थी। लेकिन आज के समय में कुछ लोग यात्रा के बहाने भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए लोग पहाड़ों का रुख करते है । जो सिर्फ चार धाम यात्रा में सिर्फ मौज मस्ती या पिकनिक के लिए जाते है जिसको लेकर संत समाज ने गुस्सा जाहिर किया।आलम यह है कि हर साल चार धाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालु की संख्या में बढ रही है।
श्रद्धालु पवित्रता ,मर्यादा, व स्वच्छता को बनाए रखे
संत समाज की ओर से यात्रा में श्रद्धालु से सद्भावना को बनाए रखने की अपील की। व मां गंगा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए कहा। यात्रा के दौरान श्रद्धालु कूडा कचरा इधर उधर न फेंके। व सिगल यूज प्लास्टिक लेकर यात्रा न करे। क्योकि उत्तराखंड में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन है।
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पिकनिक मनाने के लिए यात्रा में न जाए
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट खुल गए है। सभी यात्रियों को यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं। चार धाम यात्रा में श्रद्धालु श्रद्धा भाव से आए। जो लोग पिकनिक मनाने के भाव से यात्रा में आना चाहते है।वे घर में रहे। तथा यात्रा के दौरान नशा करने से बचें।
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