Smartphone: आपके बच्चे के लिए फोन पर अधिक समय व्यतीत करना है बेहद घातक, ऐसे करें कंट्रोल

Smartphone

 Smartphone: स्मार्टफोन आज के समय में हमारी सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है। अगर कुछ समय के लिए भी हमारा फोन हमसे दूर हो तो हमें कमी सी महसूस होने लगती है। इसकी चपेट में ना केवल युवा बल्कि बड़े-बुजुर्ग भी आ चुके हैं। जब भी आप कहीं बाहर जाते हैं तो आप देखते होंगे कि लगभग प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में आपको फोन जरूर देखने को मिल जाएगा। अगर बात करें युवा कि तो वे इन्फ्लुएंसर्स से इतना अधिक प्रभावित होते हैं कि उन्हें उनकी झूठी और गलत बातें भी सही लगने लगती है।

12 अक्टूबर को लेंसेट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया कि लगातार स्मार्टफोन (Smartphone) का प्रयोग करके युवा की मानसिक स्थिति खराब होती जा रही है। इन्फ्लुएंसर्स से कुछ लोग इतने अधिक प्रभावित होते हैं कि उनकी छोटी-छोटी जानकारी भी रखते हैं। जिसके कारण अगर इन्फ्लुएंसर्स अपनी कोई परेशानी लोगों के साथ साझा करते हैं तो ये लोग भी परेशान होने लगते हैं। रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया कि स्मार्टफोन (Smartphone) का अधिक प्रयोग करने के कारण बच्चों की मानसिक स्थिति खराब हो रही है। जिसके चलते सुसाइड टेंडेंसी भी हाई हो रही है।

Read Also:  BJP: क्या है मंत्री पद की शपथ लेने वाली श्रुति चौधरी और आरती राव का राजनीतिक सफर? 

क्या हो रहे नुकसान-

रिपोर्ट में बताया गया कि 36% टीनएजर स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर ऑनलाइन रहते हुए बाहरी या अनजान लोगों के संपर्क में रहते हैं। जिसके कारण कई बार कोई बड़ा स्कैम भी हो जाता है। 11% बच्चों को स्मार्टफोन (Smartphone) का नशा है, फोन के बिना वे कहीं भी नहीं रह सकते। 11%  टीएनजर को जब अधिक समय तक फोन नहीं मिलता तो उनमें एंग्जाइटी या मूड ऑफ जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

स्मार्टफोन  (Smartphone) की लत युवाओं में काफी अधिक मात्रा में बढ़ती जा रही है। जिससे 10 से 24 साल तक के युवा का मेंटल इलनेस ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। रील्स के तो युवा दिवाने हो चुके हैं। जिसे देखे या तो वो खुद से रील्स बनाता है या फिर किसी दूसरे व्यक्ति की बनाई हुई रील्स को देखना पसंद करता है। जिससे उन्हें लगता है कि उनका समय अच्छे से व्यतीत हो रहा है। साथ ही वे यह भूल जाते है कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर किस तरह से प्रभाव डाल रहा है। रील्स के साथ-साथ Advertisement का भी युवाओं पर काफी अधिक प्रभाव देखने को मिला है। इसके कारण वेपिंग, स्मोकिंग, जुए की लत, फास्ट फूड खाने का चस्का और अल्कोहल जैसी गलत आदतों का वे कब शिकार हो जाते हैं उन्हें भी नहीं पता होता।

जैसा हम सुनते है अक्सर हमारे विचार भी उसी प्रकार के होने लगते हैं। जब हम सारा दिन सोशल मीडिया पर व्यतीत करते हैं तो उसका प्रभाव हमारी सोच पर पड़ने लगता है। युवाओं और बच्चों में नींद डिस्टर्ब होना, स्ट्रेस, एंग्जायटी और हिंसक जैसे विचार अधिक देखने को मिल रहे हैं। जिसका जिम्मेदार कहीं ना कहीं बढ़ता स्मार्टफोन (Smartphone) और सोशल मीडिया का प्रयोग भी है।

Read Also: Bigg Boss: बिग बॉस में फिर मचा घमासान, रजत दलाल से भिड़े विवियन डीसेना

कैसे करें इस पर कंट्रोल ?

युवाओं और टीनएजर को अपना फोन चलाने का समय निश्चित करना चाहिए। स्मार्टफोन पर अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसे रोकने के लिए आप धीरे-धीरे अपना फोन चलाने का समय कम करें और बचे हुए समय में खुद को दूसरे किसी काम में बिजी रखें। अगर बिजी रहेंगे तो आपका ध्यान फोन की तरह कम जाएगा। जिसके कारण एक दिन फोन पर आपकी निर्भरता खत्म हो जाएगी। बच्चों में फोन की आदत को लेकर माता-पिता भी जिम्मेदार है। अपना काम पूरा करने के लिए और बच्चों को बिजी रखने के लिए माता-पिता उनके हाथ में फोन थमा देते हैं, जिससे बच्चों में फोन (Smartphone) चलाने की लत लग जाती है। माता- पिता को इस ओर खास ध्यान रखना चाहिए। बच्चें को बिजी रखने के लिए कोई खेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates, Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana TwitterTotal Tv App

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *