(प्रदीप कुमार): भारत का 70 साल का इंतजार आज खत्म हो गया। नामीबिया से आए 8 चीतों ने देश की सरजमीं पर पहला कदम रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में बॉक्स खोलकर इन चीतों को क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा। अपने भाषण में PM मोदी ने चीते भेजने के लिए नामीबिया का आभार जताया।
कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री के लिए करीब 10 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्मनुमा मंच बनाया गया था। इसी मंच के नीचे पिंजरे में चीते थे। पीएम मोदी ने लीवर के जरिए बॉक्स को खोला। चीते बाहर आते ही अनजान जगह में सहमे हुए दिखे। सहमते कदमों के साथ इधर-उधर नजरें घुमाईं और चहलकदमी करने लगे। लंबे सफर की थकान चीतों पर साफ दिख रही थी। चीतों के बाहर आते ही पीएम मोदी ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कुछ फोटो भी क्लिक किए।
कूनो-पालपुर अभयारण्य में नामीबिया से लाए गए चीतों के हर मूवमेंट पर वन अफसरों और एक्सपर्ट की नजर रहेगी, इसलिए चीतों को हाई फ्रिक्वेंसी कॉलर आईडी के साथ छोड़ा गया है। पीएम मोदी ने चीता मित्रों से कहा कि कूनो में चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां बायोडायवर्सिटी बढ़ेगी। यहां विकास की संभावनाएं जन्म लेंगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।पीएम मोदी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अभी धैर्य रखें, चीतों को देखने नहीं आएं। ये चीते मेहमान बनकर आए हैं। इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो को ये अपना घर बना पाएं, इसके लिए इनको सहयोग देना है.
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पीएम मोदी ने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि 1952 में हमने चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक सार्थक प्रयास नहीं किए। आज आजादी के अमृत काल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। पीएम मोदी करीब 500 मीटर चलकर मंच पर पहुंचे थे।इस मौके पर पीएम मोदी के साथ मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी रहे।मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश के लिए इससे बड़ा कोई तोहफा नहीं। देश में चीते विलुप्त हो गए थे और इन्हें फिर से बसाना एक ऐतिहासिक कदम है। यह इस सदी की सबसे बड़ी वन्यजीव घटना है। इससे मध्यप्रदेश में पर्यटन को तेजी से बढ़ावा मिलेगा।
पीएम मोदी ने कूनो में चीते छोड़े तब इस मौके पर 70-80 के दशक के कुख्यात डकैत रमेश सिंह सिकरवार भी मौजूद थे। अपने समय के दस्यु सम्राट रहे रमेश सिंह अब चीता मित्र हैं। प्रधानमंत्री ने चीता मित्रों से भी मुलाकात की।
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