राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने तिरुपति में महिला सशक्तिकरण पर विधायी समितियों के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन सत्र को संबोधित किया

Tirupati: 

Tirupati:  राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने आज तिरुपति में महिला सशक्तिकरण पर विधायी समितियों के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान विदाई उद्गार प्रकट किया। सम्मेलन के दौरान हुई चर्चाओं पर विचार प्रकट करते हुए, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि 1997 में महिला सशक्तिकरण संबंधी समिति के गठन के बाद यह पहली बार है कि जब संसद और विभिन्न राज्य विधानमंडलों की समितियाँ इस प्रकार एक साथ मिल रही हैं। उन्होंने आग्रह किया कि इस तरह के सम्मेलन और अधिक आयोजित किए जाएँ।वाद-विवाद की गुणवत्ता की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने समुक्ति की कि प्रतिभागियों ने न केवल प्रमुख चुनौतियों की पहचान की, बल्कि ठोस समाधान भी सुझाए, जो रचनात्मक संवाद की सच्ची भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जिस शांत और संकेंद्रित तरीके से चर्चा हुई, वह हर जगह विधायी कार्यवाही के लिए एक आदर्श बननी चाहिए।Tirupati: 

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उपसभापति ने दोहराया कि महिला सशक्तिकरण भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के विजन का एक अभिन्न अंग है।विगत 10 वर्षों में हमने महिलाओं के कल्याण के लिए अनेक नई योजनाएँ और नीतियाँ बनाई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नियमित रूप से इस बात पर ज़ोर दिया है कि 21वीं सदी में भारत के विकास के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। और इनमें से कई योजनाओं ने व्यापक पैमाने पर महिलाओं के जीवन स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।हरिवंश ने महिलाओं की उपलब्धियों के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए- एनडीए में महिला कैडेटों के पहले बैच के स्नातक होने से लेकर चंद्रयान-3 और चिनाब पुल परियोजना में महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका तक – जोकि राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी की बदलती कहानी को रेखांकित करते हैं।Tirupati: 
हरिवंश ने जेंडर बजटिंग के महत्व पर बल दिया और सभी समितियों से न केवल आवंटन बढ़ाने बल्कि व्यय की दक्षता पर भी ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया । उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि प्रत्येक बजट में बजट बढ़ाने की मांग तो होती है, लेकिन राजस्व कहाँ से आएगा इस बात पर अधिक चर्चा नहीं होती है। इस संदर्भ में, व्यय दक्षता भी महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक रुपये का अधिकतम प्रभाव पड़े। उन्होंने जेंडर बजटिंग को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नवीन दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।Tirupati: 
प्रसिद्ध समाज सुधारक और शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का उल्लेख करते हुए उन्होंने महिला अधिकारों की समर्थक रहीं श्रीमती फुले के शब्दों को उद्धृत किया कि ‘महिलाओं को शिक्षित करके हम पीढ़ियों को शिक्षित करते हैं और एक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करते हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि ये शब्द पारंपरिक शिक्षा के लिए जितने प्रासंगिक हैं, प्रौद्योगिकी के युग में भी ये उससे भी अधिक प्रासंगिक हैं।Tirupati: 
उपसभापति ने दुर्गाबाई देशमुख के संविधान सभा में कहे गए शब्दों का स्मरण किया, ‘हमारे पास ऐसे अनेक दृष्टांत हैं जहां महिलाएं पुरुषों से बेहतर प्रबंधक सिद्ध हुई हैं।’ इस सम्मेलन की कार्यवाही भी इसी संदेश को रेखांकित करती है।समापन सत्र आंध्र प्रदेश के राज्यपाल, एस. अब्दुल नजीर, लोकसभा अध्यक्ष, ओम बिरला और आंध्र प्रदेश विधानमंडल के पीठासीन अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया।Tirupati: 

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