उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अपने चरम पर है। इस दौरान केदारनाथ धाम से लौट रही श्रद्धालुओं की एक हेली सेवा आज सुबह मौत की उड़ान साबित हुई। आर्यन एविएशन के हेलीकॉप्टर हादसे ने आज सुबह 7 जिंदगियों को हमेशा के लिए छीन लिया। हादसा सिर्फ एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि एक व्यवस्थागत लापरवाही का नतीजा भी बताया जा रहा है, जिसने सिस्टम और सरकार दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
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आज सुबह के वक्त केदारनाथ से लौटते श्रद्धालु और अचानक घना कोहरा और तेज हवाएं उत्तराखंड के गौरीकुंड स्थित खर्क की पहाड़ियों में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब आर्यन एविएशन का हेलीकॉप्टर आंखों के सामने आग का गोला बन गया। स्थानीय लोगों ने पहाड़ी की ओर से तेज धमाके की आवाज सुनी और जब वहां जाकर देखा तो एक मंजर ऐसा था जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
हेलीकॉप्टर जलकर राख हो चुका था और मलबे के टुकड़े पहाड़ियों में बिखरे पड़े थे। गुप्तकाशी से 5 बजकर 15 मिनट पर उड़ान भरने वाला हेलीकॉप्टर जब 5:25 पर केदारनाथ से लौट रहा था, तब मौसम ने करवट ली और इसी दौरान ये हादसा हुआ, जब काला धुआं आसमान में उठता दिखाई दिया। इस हेलीकॉप्टर हादसे में कुल 7 लोग सवार थे जिनमें 39 वर्षीय कैप्टन राजबीर सिंह चौहान, बीकेटीसी प्रतिनिधि विक्रम रावत, उत्तर प्रदेश की 66 वर्षीय विनोद देवी, 19 साल की तृष्टि सिंह, गुजरात निवासी राजकुमार सुरेश जायसवाल, उनकी पत्नी श्रद्धा और महाराष्ट्र की दो साल की बच्ची काशी शामिल थीं।
हेलीकॉप्टर में सवार 7 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलते ही SDRF, NDRF और डीडीआरएफ की टीमों को मौके पर रवाना किया गया। घटनास्थल खतरनाक और बेहद दुर्गम इलाक़ा था, जहां पहुंचना आसान नहीं था। मगर सभी टीमों ने समन्वय और तेजी दिखाते हुए घने जंगल में पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। पहाड़ी पर फैले मलबे और जली हुई लाशों को समेटकर बड़ी सावधानी से नीचे लाया गया। हर शव के साथ एक परिवार की उम्मीद और आस्था भी टूट चुकी थी।
इस हादसे में जान गंवाने वाली 19 वर्षीय तृष्टि सिंह के दादा ने हेलीकॉप्टर कंपनी पर सीधा आरोप लगाया है और उनका गुस्सा भी जायज है। वो सवाल पूछ रहे हैं कि जब मौसम इतना खराब था तो उड़ान की अनुमति किसने दी ? क्या यात्रियों की जान से बड़ा कुछ और है? परिजनों का कहना है कि कंपनी ने मुनाफे की अंधी दौड़ में नियमों की बलि चढ़ा दी और इसके लिए उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए।
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घटना के तुरंत बाद केदारनाथ में हेली सेवाओं को अग्रिम आदेशों तक रोक दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है, जिसमें DGCA, पर्यटन विभाग, आपदा प्रबंधन और UCADA के अधिकारी शामिल हुए। निर्देश दिए गए हैं कि एक तकनीकी समिति बनाई जाए जो हेली सेवाओं के लिए नई और सख्त SOP तैयार करेगी ताकि भविष्य में ऐसा हादसा न दोहराया जाए।
इधर इस हादसे पर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस ने इसके लिए सरकार को सीधा जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी प्रवक्ता गरिमा दसौनी और वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि ये पांचवीं बड़ी हेलीकॉप्टर दुर्घटना है, लेकिन सरकार अभी तक एक भी ठोस नीति नहीं बना पाई है। उन्होंने कहा कि हेली कंपनियों को बेलगाम छोड़ दिया गया है और ये कंपनियां सिर्फ पैसा कमाने की होड़ में नियमों को दरकिनार कर यात्रियों की जान को दांव पर लगा रही हैं।
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