Uttarkashi Tunnel Rescue: विदेशी विशेषज्ञ ने बताया खैर मैं बस इतना कह सकता हूं कि रेस्क्यू के लिए यहां पर काम बहुत अच्छा चल रहा है। साइट पर टीमें शानदार काम कर रही हैं। हमने सेना से बात की, वो भी शानदार काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि इसका रिजल्ट अच्छा होगा।”
अर्नोल्ड डिक्स, इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट मुझे लगता है कि हम 41 लोगों को घर ले आएंगे और किसी को भी चोट नहीं पहुंचेगी। मैं देखने जा रहा हूं। मुझे नहीं पता। मैं कल रात वहां था, लेकिन मुझे नहीं पता। लोग बहुत मेहनत कर रहे हैं।मेजर नमन नरूला, बीआरओ अधिकारी:बीआरओ ने करीब 1150 मीटर का जो ट्रैक है उसे करीब 48 घंटों में पूरा करके आगे दे दिया और मशीनरी को भी हमने पूरा सपोर्ट किया ताकि मशीनरी को भी खींच कर साइट पर पहुंचा सकें।हमारी वहां पर एक ड्रिलिंग रिंग है। जिसकी दो मशीनरी वहां पर पहुंच गई है। वो कल दोपहर में पहुंच गई थी वहां पर। बरकोट साइड से भी हमें एक और ट्रैक बनाना है। जोकि करीब पांच किलोमीटर का ट्रैक है। तो उसके लिए हमारा सर्वे कल हो चुका है। और आज से उसका काम शुरू हो रहा है।”
विक्रम सिंह, पुलिस अधिकारी एप्रोच रोड सिल्कयारा रोड का काम पहले ही पूरा हो चुका है। और जो बरकोट का है वो ओएनजीसी की मदद से सर्वेक्षण लगभग पूरा हो चुका है। आज रिक्की सर्वे का प्वाइंट मिल जाएगा। हम लोग एलाइनमेंट का काम फाइनल कर रहे हैं और आज से काम शुरू हो जाएगा।सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को निकालने का प्रयास फिर शुरू हो गया है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि सुरंग में रात भर अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की गई।अधिकारियों के मुताबिक, अब तक मलबे में 32 मीटर तक 800 डायमीटर के स्टील पाइप डाले जा चुके हैं।इससे पहले शुक्रवार को उस वक्त ड्रिलिंग का काम रोक कर दिया गया था, जब ऑगर मशीन किसी कठोर चीज से टकरा गई थी। ऑगर मशीन से ड्रिलिंग फिर से शुरू होने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आने की उम्मद है।रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने भरोसा जताया है कि टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया जाएगा।उधर सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने भी रेस्क्यू ऑपरेशन में किसी तरह की असुविधा न हो और ड्रिलिंग मशीनों समेत दूसरे उपकरणों को आसानी से लाने ले जाने के लिए सड़क बनाने का काम पूरा कर लिया है।मौके पर मौजूद इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कहा है कि वर्टिकल ड्रिलिंग में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है।
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उन्होंने कहा कि पहाड़ की चोटी से ड्रिलिंग करते वक्त छोटी सी गलती भी भारी पड़ सकती है। ड्रिलिंग मशीन ध्वस्त सुरंग में सही जगह पहुंचने से चूक सकती हैं।वैकल्पिक तौर पर कुछ भारी मशीनें साइट पर पहंचाई गईं हैं। 75 टन की मशीन को पहाड़ी तक ले जाने के लिए एक सड़क भी बनाई गई है।टनल में फंसे मजदूरों के लिए सुरंग के पास एम्बुलेंस और दूसरी आपातकालीन सहायता भी रखी गई है।
(Source PTI)
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