What is polygraph Test: कोलकाता में आरजी कर अस्पताल के ट्रेनी लेडी डॉक्टर के रेप और हत्या के बाद डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे है।आरोपी संजय के जल्द ही पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाएगा.लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पॉलीग्राफी टेस्ट क्या है और कैसे किया जाता है आइए जानते है ।
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पॉलीग्राफ टेस्ट – आपको बता दें कि जब भी कोई व्यक्ति झूठ बोलता है तब शारीरिक प्रतिक्रिया दिल की धड़कन,सांस लेने में बदलाव, पसीना आना आदि शुरू हो जाते हैं। पूछताछ के दौरान कार्डियो-कफ या सेंसेटिव इलेक्ट्रोड जैसे उपकरण व्यक्ति से जुड़े होते हैं और रक्तचाप,नाड़ी, रक्त प्रवाह आदि को भी मापा जाता है। प्रत्येक प्रतिक्रिया को एक संख्यात्मक मान दिया जाता है कि क्या व्यक्ति सच बोल रहा है, धोखा दे रहा है।
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के ट्रेनी लेडी डॉक्टर के साथ रेप और फिर उसकी हत्या मामले को सीबीआई (CBI) जल्द से जल्द हल करना चाहती है. इसके लिए जांच एजेंसी आरोपी संजय रॉय के दिमाग को डिकोड करने का प्रयास कर रही है. सीबीआई को टेस्ट करवाने की मंजूरी मिल गई है.
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जानें कब हुई शुरुआत – प्राप्त जानकारी के अनुसार इस तरह का परीक्षण पहली बार 19वीं शताब्दी में इतालवी अपराध विज्ञान सेसारे लोम्ब्रोसो के द्वारा किया गया था इसके बाद इस उपकरण की शुरुआत 1914 में अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम मैरस्ट्रॉन और 1921 में कैलिफोर्निया पुलिस अधिकारी जॉन लार्सन द्वारा बनाए गए थे।
यह भी जानें – ऐसा बताया जाता है कि न तो पॉलीग्राफ परीक्षण और न ही नार्को टेस्ट वैज्ञानिक रूप से 100% सफल साबित हुए हैं। चिकित्सा क्षेत्र में भी यह विवादास्पद बने हुए हैं। हालांकि, जांच एजेंसियों इन्हें प्राथमिकता देती है क्योंकि संदिग्धों से सच्चाई उगलवाने के लिए इन्हें ‘थर्ड डिग्री’ के ‘नरम विकल्प’ के रूप में देखा जाता है।
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