World News: इस साल की गर्मी से हर कोई वाकिफ है। लोगों ने तपती गर्मी और चिलचिलाती धूप को सहन किया है। हर साल की गर्मी अपना रिकॉर्ड तोड़ रही है। लेकिन चौंकाने वाली बात तो ये है कि आने वाले सालों में गर्मी का और भी भयावह रुप देखने को मिलेगा। दरअसल, वैक्षानिकों का कहना है कि साल 2050 तक दनिया में गर्मी से तबाही मचने वाली है। आने वाले जनरेशन पर इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ने वाला है। रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2050 तक बच्चों को गर्मी की लहरों, बाढ़ और जंगलों में आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।
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लगातार बढ़ रही गर्मी पर किए गए शोध के अनुसार 2050 तक आने वाली पीढ़ी को अभी से कई गुना अधिक गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। 2050 तक दुनिया में अभी से लगभग अब आठ गुना गर्मी बढ़ सकती है। इसके अलावा, बाढ़ का खतरा 2000 के मुकाबले तीन गुना बढ़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों को उनके घरों और स्कूलों से दूर करना पड़ा है। इसके अलावा आने वाले सालों में गर्मी के कारण जंगलों में आग का खतरा भी बढ़ेगाा। 2050 तक यह खतरा 2000 के मुकाबले दोगुना हो सकता है, जिससे बच्चों की जान और संपत्ति को खतरा हो सकता है। जलवायु परिवर्तन बच्चों की सेहत, सुरक्षा और जीवन स्तर पर गहरा असर डाल सकता है, इसलिए मौसम में बदलाव के कारण बढ़ने वाली गर्मी और बाढ़ का सूखा बच्चों के भविष्य में बहुत बड़ी चुनौतियां पैदा कर सकता है।
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रिपोर्ट्स के अनुसार लगभग दुनिया के 100 करोड़ से भी ज्यादा बच्चों पर ये खतरा मंडराने वाला है। विशेषकर उन बच्चों पर जो कम विकसित देशों में रहते हैं। बच्चों को जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक खतरा भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड और नाइजीरिया में है। इन देशों में बच्चे साफ पानी की कमी, स्वच्छता की समस्या, शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसे कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इन चुनौतियों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के खतरों ने उनके जीवन को और भी अधिक खतरनाक बना दिया है। अब हाल ही में आई रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना कर रहे इन बच्चों के लिए तत्काल और प्रभावी उपायों की जरूरत है। जिन देशों में बच्चों को प्रोटीन की आवश्यकता पूरी नहीं हो रही है, वहां जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए योजना बनानी होगी, ताकि बच्चों का सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
