Diwali: देशभर समेत राजधानी में आज धूमधाम से दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन घर-घर में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। लोग दीये जलाकर अंधकार पर प्रकाश की जीत का उत्सव मनाते हैं। भगवान राम जब 14 वर्ष के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, उसी खुशी में अयोध्यावासियों ने पहली बार दीपावली मनाई थी। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज हम सभी सनातनी इसे खुशियों और प्रकाश के त्योहार के रूप में वर्षों से मनाते आ रहे हैं। Diwali
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दीपों का त्योहार दीपावली आज पूरे देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। राजधानी दिल्ली में भी मंदिरों और घरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। बाजारों में रौनक है और लोग उत्साह के साथ दीपावली की तैयारियों में जुटे हैं। परंपरा के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। Diwali
पंडितों के अनुसार दीपावली की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 08 मिनट पर प्रारंभ होकर रात 08 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा। लक्ष्मी गणेश की पूजा अर्चना की कुल अवधि 01 घंटा 11 मिनट की रहेगी। इस शुभ समय में श्रद्धालु पूरे विधि-विधान से पूजा कर अपने घरों में खुशहाली और समृद्धि की कामना करेंगे। दीपों के इस पर्व पर लोग न केवल अपने घरों को रोशनी से जगमगाते हैं, बल्कि एक-दूसरे को मिठाइयां बांटकर खुशियां भी साझा करते हैं। दीपावली का यह पर्व देश में एकता और प्रकाश का संदेश देता है। Diwali
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दीपावली मनाने के पीछे कई पौराणिक और सांस्कृतिक कथाएँ प्रचलित हैं। मुख्य रूप से इसे अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। सबसे प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, दीपावली उस दिन मनाई जाती है, जब भगवान राम रावण का वध करने के उपरांत अपने 14 वर्ष के वनवास को पूर्ण कर अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे थे। भगवान राम के स्वागत में ही पूरी अयोध्या में पहली बार दीपोत्सव मनाया गया था, जिसे आज हम दीपावली के नाम से जानते हैं। कुछ लोग इसे देवी लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में भी मनाते हैं। वहीं दक्षिण भारत में दीपावली मुख्य रूप से भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। Diwali