Political News: राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुरुवार 12 दिसंबर को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर अधिकारों के दुरुपयोग और सरकार की चापलूसी करने आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष का गला घोंटना अब सदन में संसदीय प्रक्रिया का नियम बन गया है।
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कांग्रेस अध्यक्ष ने ये भी आरोप लगाया कि धनखड़ के कार्यकाल में निष्पक्षता की परंपरा पूरी तरह खंडित हो चुकी है। विपक्षी दलों ने धनखड़ को उप-राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया है। राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को दिन भर के लिए स्थगित होने के बाद खरगे ने कहा कि उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया गया।
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया और लिखा, लोकतंत्र हमेशा दो पहियों पर चलता है। एक पहिया है सत्तापक्ष और दूसरा विपक्ष। दोनों की जरूरत होती है। सांसदों के विचारों को तो देश तब ही सुनता है जब सदन चलता है। 16 मई, 1952 को राज्यसभा में पहले सभापति डॉ. राधाकृष्णन जी ने सांसदों से कहा था कि मैं किसी भी पार्टी से नहीं हूं और इसका मतलब है कि मैं सदन में हर पार्टी से हूं। मल्लिकार्जुन ने दावा किया कि ये निष्पक्षता की परंपरा धनखड़ के कार्यकाल में पूरी तरह खंडित हो गई।
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खरगे ने आरोप लगाया कि सभापति ने कई बार सदन के बाहर भी विपक्षी नेताओं की आलोचना की है। वो अक्सर बीजेपी की दलीलें दोहराते हैं और विपक्ष पर राजनैतिक टीका टिप्पणी करते हैं। वो रोज ही वरिष्ठ नेताओं को स्कूली बच्चों की तरह पाठ पढ़ाते है, उनके व्यवहार में संसदीय गरिमा और दूसरों का सम्मान करने का भाव नहीं दिखता है।