लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि भारतीय समाज ने सदा से ही प्रकृति की पूजा की है और इसके प्रति गहरी श्रद्धा रखी है; पर्यावरण के प्रति सम्मान हमारा विश्वास नहीं बल्कि जीवन का अभिन्न अंग है।बिरला ने कहा कि भारतीय परंपराओं, धर्मग्रंथों और लोक कथाओं में मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य पर ज़ोर दिया गया है।बिरला ने इस बात का उल्लेख भी किया कि भारत में बच्चों को बचपन से ही प्रकृति के साथ तालमेल रखना सिखाया जाता है, जो पर्यावरण चेतना और भारतीय जीवन शैली के बीच स्थायी सांस्कृतिक और नैतिक संबंध को दर्शाता है।
ओम बिरला ने आज नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में श्री सोहन सिंह की जयंती के अवसर पर विशिष्ट सभा को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। यह कार्यक्रम सोहन सिंह सेवा न्यास द्वारा “पर्यावरण: संकट और समाधान” विषय पर आयोजित किया गया था।
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सोहन सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें एक दूरदर्शी और निस्वार्थ समाजसेवी बताया, जिन्होंने अपना जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि श्री सोहन सिंह ने न केवल सामाजिक परिवर्तन के लिए काम किया, बल्कि उनका यह भी मानना था कि सच्चा परिवर्तन व्यक्तिगत स्तर से शुरू होता है। उन्होंने कहा कि इस आंतरिक परिवर्तन से नैतिक शक्ति बढ़ती है, एक सदाचारी समाज का निर्माण होता है जिससे अंततः राष्ट्र निर्माण होता है। श्री बिरला ने आगे कहा कि सादा जीवन और उच्च विचार के उनके आदर्श देश में आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।
पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, बिरला ने कहा कि मानवीय गतिविधियाँ पारिस्थितिक असंतुलन का प्रमुख कारण रही हैं। कोविड-19 महामारी का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि जब मानवीय गतिविधियाँ रुकीं, तो प्रकृति ने स्वयं को स्वस्थ करना शुरू कर दिया – नदियाँ स्वच्छ हो गईं, वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ और वनों में जीवन फलने-फूलने लगा – यह इस बात का स्मरण कराता है कि सस्टेनेबल जीवन कितना आवश्यक है।
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उन्होंने सुझाव दिया कि एक राष्ट्र के रूप में, भारत को भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण हेतु नव संकल्प के साथ एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक की यह ज़िम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि प्रगति और स्थिरता साथ-साथ चलें।बिरला ने कहा कि एक स्वच्छ, हरित और स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए सामूहिक चेतना और ज़िम्मेदारी से जीवन जीना आवश्यक है।
