प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि एक पीढ़ी ने हमें ‘स्वतंत्र भारत’ देने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और इस पीढ़ी को ‘समृद्ध भारत’ बनाने के लिए दृढ़ संकल्प, कुशल आचरण और आत्मनिर्भरता की भावना के साथ नए कदम उठाने चाहिए।
Read Also: Humayun Tomb: हुमायूं के मकबरे के पास इमारत का एक हिस्सा गिरने से 5 की मौत
लाल किले की प्राचीर से अपने 12वें और अब तक के सबसे लंबे स्वतंत्रता दिवस संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आत्मनिर्भरता’ पर जोर देते हुए कहा कि ये पहलू केवल आयात, निर्यात या मुद्रा तक ही सीमित नहीं है। PM मोदी ने उन स्वतंत्रता सेनानियों की तारीफ की जिनकी लगातार कोशिशों से भारत ने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को तोड़ दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “1947 में, हमारे देश ने बड़ी संख्या में लोगों की असीम आकांक्षाओं और क्षमताओं के साथ स्वतंत्रता प्राप्त की। हमारी आकांक्षाएं उड़ान भर रही थीं, लेकिन चुनौतियां और भी बड़ी थीं।” उन्होंने कहा कि पूज्य बापू के सिद्धांतों का पालन करते हुए, संविधान सभा के सदस्यों ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन किया और भारत का संविधान, एक प्रकाश स्तंभ की तरह, पिछले 75 सालों से “हमारा मार्गदर्शन” कर रहा है।
Read Also: PM मोदी ने देश को खतरों से बचाने के लिए मिशन ‘सुदर्शन चक्र’ का किया ऐलान
स्वतंत्रता दिवस पर अपने 103 मिनट के संबोधन में, PM मोदी ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर और भारतीय संविधान के दूसरे निर्माताओं की विरासत को याद किया। उन्होंने कहा, “किसी भी राष्ट्र के लिए, आत्म-सम्मान का सबसे बड़ा आधार आज भी ‘आत्मनिर्भरता’ ही है। और, ‘विकसित भारत’ का आधार भी ‘आत्मनिर्भर भारत’ ही है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “दूसरों पर निर्भरता व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगाती है। और ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि निर्भरता एक आदत बन जाती है… ये… खतरनाक है। इसलिए हमें हर समय सतर्क रहना होगा और ‘आत्मनिर्भर’ बनने की कोशिश करना होगा।”