(प्रदीप कुमार): पिछले तीन वर्षों में तीन रेलवे स्टेशनों यानि पश्चिम मध्य रेलवे के रानी कमलापति स्टेशन, पश्चिम रेलवे के गांधीनगर कैपिटल स्टेशन और दक्षिण पश्चिम रेलवे के सर एम. विश्वेश्वरैया टर्मिनल स्टेशन विकसित और चालू किए गए हैं।इन तीनों रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास से प्राप्त अनुभव के आधार पर रेल मंत्रालय ने भारतीय रेल के स्टेशनों के विकास के लिए ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ की शुरूआत की है। इस योजना के अंतर्गत अब तक विकास/पुनर्विकास के लिए 1318 स्टेशनों की पहचान की गई है।
यह योजना दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निरंतर आधार पर स्टेशनों के विकास की परिकल्पना करती है। इसमें स्टेशनों तक पहुंच, सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग हॉल, शौचालय, आवश्यकतानुसार लिफ्ट/एस्केलेटर, साफ-सफाई, मुफ्त वाई-फाई, स्थानीय उत्पादों के लिए ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ जैसी योजनाओं के माध्यम से कियोस्क, बेहतर यात्री सूचना प्रणाली, एक्जीक्यूटिव लाउंज, व्यावसायिक बैठकों के लिए निर्दिष्ट स्थान, लैंडस्केपिंग आदि जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रत्येक स्टेशन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मास्टर प्लान तैयार करना और उनका चरणबद्ध रूप से कार्यान्वयन करना शामिल है।इस योजना में इमारत में सुधार, शहर के दोनों सिरों के साथ स्टेशन को एकीकृत करना, मल्टीमॉडल एकीकरण, दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं, टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल समाधान, बैलस्ट या गिट्टी रहित ट्रैक का प्रावधान, आवश्यकता के अनुसार ‘रूफ प्लाजा’, चरणबद्धता और व्यवहार्यता तथा आगे चलकर स्टेशनों पर सिटी सेंटरों के निर्माण की भी परिकल्पना की गई है।इसी के साथ रेल मंत्रालय ने दो समर्पित माल गलियारों (डीएफसी) के निर्माण कार्य अपने हाथ में लिया है। पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (ईडीएफसी) लुधियाना से सोननगर (1337 किलोमीटर) और पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डब्ल्यूडीएफसी) जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल (जेएनपीटी) से दादरी (1506 किलोमीटर) तक। ईडीएफसी का निर्माण पूर्ण हो चुका है और डब्ल्यूडीएफसी के 1506 किलोमीटर में से 1220 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है और पूरे हो चुके खंडों पर ट्रेन परिचालन जारी है।
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वही मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना की स्वीकृत लागत 1,08,000 करोड़ रुपए है। अब तक 290.64 किमी पियर फाउंडेशन, 267.48 किमी पियर निर्माण, 150.97 किमी गर्डर कास्टिंग और 119 किमी गर्डर लॉन्चिंग का काम पूरा हो चुका है। प्रत्याशित समयसीमा और अंतिम लागत सभी अनुबंध पैकेजों को देने के बाद ही सुनिश्चित की जा सकती है।यह जानकारी रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।
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