3rd Day of Navratri Vrat Katha 2025: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है। मां चंद्रघंटा को शक्ति, साहस और शांति का प्रतीक माना जाता है। इनकी आराधना करने से भक्तों को भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है, साथ ही आत्मविश्वास और पराक्रम में वृद्धि होती है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की कृपा से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है, जिससे पारिवारिक जीवन भी आनंदमय बनता है। तो माता चंद्रघंटा की पूजा कर शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। जो भक्त इस दिन व्रत और पूजन कर रहे हैं तो उन्हें मां चंद्रघंटा की व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। आइए, इस लेख में विस्तार से मां चंद्रघंटा की व्रत कथा के बारे में जानते हैं।
Read also- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित
मां चंद्रघंटा की व्रत कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, एक समय जब दैत्यों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तब देवताओं ने महादेव से आग्रह किया कि वे इस संकट को दूर करने के लिए देवी शक्ति का आह्वान करें। भगवान शिव ने पार्वती जी को प्रकट होने का आदेश दिया। माता पार्वती ने अपने तीसरा स्वरूप में दिव्य शक्ति धारण की और मां चंद्रघंटा के रूप में प्रकट हुईं।
माता चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित रहता है, जिससे इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके दस हाथ हैं और वे सिंह पर सवार हैं। इनके हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं, जो भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। जब दैत्यों ने स्वर्ग लोक पर आक्रमण किया, तब मां चंद्रघंटा ने अपने सिंह पर सवार होकर युद्ध किया और असुरों का संहार कर देवताओं को उनके भय से मुक्त किया।
Read also- केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने वफ्फ बिल को लेकर विरोधियों पर बोला जोरदार हमला
एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह तय हुआ. तब शिव जी अपनी बारात में गण, भूत-प्रेत के साथ पहुंचे। यह दृश्य देखकर माता पार्वती की माता और परिवार चिंतित हो गए। तब माता पार्वती ने अपने चंद्रघंटा स्वरूप में प्रकट होकर भगवान शिव को एक सुंदर और दिव्य रूप धारण करने के लिए प्रेरित किया।