दिल्ली में जब कोरोना पीक पर था तब सरकार ने कैंप लगाकर राशन बटवाये पर जब हालात अब कुछ बेहतर हो रहे हैं तो आधा अगस्त बीत जाने के बाद भी राशन बंटना शुरू नहीं हो सका है। राशन नहीं बाटने के पीछे सरकार के उस आदेश को वजह बताया जा रहा है जिसके तहत रेगुलर कोटा और पीएम कोटा का कम से कम 50 फीसदी अनाज दुकान पर पहुंचने के बाद ही उसे बाटने का आदेश है।
क्यों नहीं बंट रहा राशन ?
बताया जा रहा है जिन राशन दुकानों पर रेगुलर राशन पहुचा वहां पीएम कोटा नहीं पहुंच पाया और जहां पीएम कोटे का राशन पहुंचा वहां रेगुलर राशन नहीं पहुंच सका है। जबकि नियम के मुताबिक दुकानदार तब तक राशन नहीं बेच सकते जबतक दोनों कोटे का 50 फीसदी राशन दुकान तक ना पहुंच जाए। राशन दुकानदारों ने अब सरकार से नियम में ढील देने की मांग की है।
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कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान दिल्ली सरकार ने कैंप लगवा कर लोगों को राशन बटवाये। इस दौरान रेगुलर कोटा और पीएम कोटा दोनों राशन बाटा गया। दुकानदारों के मुताबिक मई और जून में राशन बाटने के लिए शर्त नहीं थी। जुलाई में 15 दिन रेगुलर कोटा और 15 दिन पीएम कोटा बाटा गया। पर अगस्त में 50 फीसदी कि शर्त लगा दी गई। जिसके बाद दिल्ली के करीब 2 हज़ार दुकानों में से करीब 600 दुकानों पर ही राशन बटना शुरू हो सका है। लिहाजा इस पर निर्भर रहने वालों को बाजार से महंगा राशन खरीदना पड़ रहा है। बीजेपी इसे राशन घोटाला से भी जोड़कर देख रही है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 2050 राशन दुकानों के माध्यम से करीब साढ़े 17 लाख परिवारों को राशन वितरण किया जाता है। रेगुलर कोटा में एक व्यक्ति को 4 किलो गेहूं और 1 किलो चावल जबकि पीएम कोटा में इतना ही गेहूं और चावल के अलावा प्रति कार्ड 1 किलो चना भी दिया जाता है। लॉक डाउन में इन्हीं परिवारों को राशन बांट कर सरकार पीठ थपथपा रही थी और आंकड़े गिना रही थी जरा सोचिए अनलॉक में जब उन्हें राशन नहीं मिल रहा तो उनका घर कैसे चल रहा होगा।
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