Hathras: उत्तर प्रदेश के कासगंज में कथित धर्मगुरु भोले बाबा का बहुत बड़ा आश्रम है। हाथरस में उनके सत्संग में हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने कासगंज के बहादुरनगर का दौरा किया और लोगों से बातचीत की।
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बता दें, आश्रम के एक सेवादार ने कहा कि प्रभु कभी लोगों से अपने पैर छूने के लिए नहीं कहते हैं। भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों ने कहा था कि ये हादसा इसलिए हुआ, क्योंकि लोग सूरजपाल उर्फ नारायण साकर हरि उर्फ भोले बाबा के पैर छूना चाहते थे। सेवादार ने कहा, उन्होंने (बाबा ने) हमेशा लोगों से अपने पैर न छूने के लिए कहा है और वे लोगों को अपने पैर छूने नहीं देते हैं। अगर आप यहां (उनके आश्रम में) आए हैं, तो वे आपको आशीर्वाद देंगे। लेकिन कुछ अंधभक्त हैं जो सोचते हैं कि उन्हें सिर्फ पैर छूने से ही आशीर्वाद मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं है।
आश्रम के ठीक सामने एक घर में रहने वाली इंदु ने कहा कि बाबा की नजर उनकी जमीन पर थी। उन्होंने कहा, बाबा के लोगों ने मेरे माता-पिता से हमारी जमीन दान करने को कहा। मेरे माता-पिता ने अपनी जमीन दान कर दी। उन्होंने जमीन के लिए 80,000 रुपये दिए। फिर उन्होंने मेरे चाचा की जमीन हड़पने की कोशिश की। मेरे पिता ने मना कर दिया। इसलिए उन्होंने मेरे माता-पिता को आश्रम से निकाल दिया। मेरे चाचा दिल्ली में डॉक्टर हैं। वे आश्रम में काम करते थे। उन्होंने उन्हें भी निकाल दिया और मेरे माता-पिता को भी निकाल दिया।
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बाबा की भक्त अंजू ने इस दुखद हादसे के लिए पीड़ितों को जिम्मेदार ठहराया। अंजू ने कहा, ये हमारी गलती थी। ये हादसा उनके (बाबा) जाने के बाद हुआ। लेकिन लोगों को अनुशासन में रहना चाहिए था। अगर वे भगदड़ नहीं मचाते, तो ये हादसा नहीं होता। इस बीच, दो जुलाई को हाथरस में हुई भगदड़ के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली में सरेंडर करने के बाद हिरासत में ले लिया है। उनके वकील ने शुक्रवार को ये दावा किया। मधुकर भगदड़ वाले सत्संग के ‘मुख्य सेवादार’ थे। इस हादसे के सिलसिले में हाथरस के सिकंदराराऊ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में वे इकलौते आरोपी हैं।