Nyctophobia: हर व्यक्ति को किसी न किसी चीज से फोबिया होता है और कई बार यह फोबिया एक बड़ी बीमारी का रूप भी ले लेते हैं। अक्सर कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें पानी से डर लगता है यदि किसी के साथ कोई हादसा हो जाए तो उस व्यक्ति के मन में डर बैठ जाता है जिसे फोबिया कहा जाता है। इसी तरह से निक्टोफोबिया है यह एक मानसिक अवस्था है जिसमें किसी व्यक्ति को अंधेरे से डर लगता है।
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बता दें कि जिन लोगों को अंधेरे में जाने से डर लगता है वह निक्टोफोबिया के शिकार होते हैं। ऐसे लोग जब भी अंधेरे से सामना करते हैं तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत, स्वैटिंग और हार्ट रेट बढ़ने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई लोगों को अंधेरे में जाने से पैनिक अटैक आ जाता है जो कि एक बड़ी समस्या है। इस तरह के फोबिया से कामकाज में काफी समस्या होती है और यह दैनिक जीवन में भी काफी बड़ी दिक्कत है।
निक्टोफोबिया को कैसे पहचानें? निक्टोफोबिया से पीड़ित लोगों को अंधेरे से इतना डर लगता है कि वह अकेले सोने से डरते हैं और यदि पीड़ित व्यक्ति गलती से भी अंधेरे में चला जाए तो डर के कारण उसे बार-बार पसीना आने लगता है। केवल इतना ही नहीं कई बार निक्टोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति अंधेरे में जाते ही जोर से चिल्लाने और रोने लगता है। ऐसे व्यक्ति जैसे ही अंधेरे का सामना करते हैं तो उन्हें सिरदर्द, छाती में भारीपन और सांस लेने में भी समस्या आती है।
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निक्टोफोबिया से कैसे करें बचाव? निक्टोफोबिया से बचाव के लिए कई तरह की थेरेपी दी जाती है जिससे धीरे-धीरे निक्टोफोबिया से ग्रसित व्यक्ति का अंधेरे में जाने और सोने का डर खत्म हो जाता है। ऐसे लोगों को एक्सपोजर थेरेपी दी जाती है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को कुछ समय के लिए एक कमरे में अकेले छोड़ कर डार्कनेस की प्रैक्टिस कराई जाती है जिससे नींद की समस्या हल हो जाती है। डर के कारण बढ़ने वाली उत्तेजना पर काबू पाकर भावनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए फ्लडिंग थेरेपी की जाती है। कॉग्नेटिव बिहेवरल थेरेपी के जरिए बातचीत करके ओवरथिंकिंग और नकारात्मक विचारों पर काबू पाया जाता है।
