लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज मुंबई में जैन महामंडल द्वारा आयोजित क्षमावाणी कार्यक्रम में भाग लिया। लोक सभा अध्यक्ष ने जैन मुनियों का सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि जैन मुनि समाज के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करते आए हैं । श्री बिरला ने यह भी कहा कि संत-महात्माओं की शिक्षाएं व्यक्ति और समाज दोनों को अंधकार से प्रकाश की ओर तथा सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह के मार्ग पर ले जाती हैं।
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ओम बिरला ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारतीय जैन महामंडल भगवान महावीर के संदेश का देश-विदेश में प्रचार-प्रसार करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है । उन्होंने कहा कि जैन मुनि विश्व में भारत के सांस्कृतिक राजदूत हैं तथा राष्ट्र निर्माण और सामाजिक प्रगति में उनका अमूल्य योगदान रहा है।
विश्व के विभिन्न भागों में घटी हिंसा की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि भगवान महावीर की अहिंसा की शिक्षा आज भी दुनिया में प्रासंगिक हैं और उनकी शिक्षाएं विश्व में शांति का मार्ग प्रशस्त करेंगी । अध्यक्ष महोदय ने यह भी कहा कि भारत ने विश्व को सदैव शांति और अहिंसा का संदेश दिया है और यह विश्वास व्यक्त किया कि शांति ही वैश्विक संघर्षों का एकमात्र समाधान और वैश्विक प्रगति का मार्ग है। बिरला ने सभी से भगवान महावीर की शिक्षाओं तथा धैर्य, दृढ़ संकल्प और अहिंसा के उनके शाश्वत संदेशों को अपने जीवन में अपनाने का आग्रह किया और कहा कि व्यक्ति को अपनी कमियों को स्वीकार करते हुए दूसरों की बात समझनी चाहिए और उनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए जिससे व्यक्ति के अंतर्मन और समाज दोनों में आध्यात्मिकता बढ़ेगी । उन्होंने यह भी कहा कि क्षमा करने से व्यक्ति और समाज दोनों को लाभ होता है। उन्होंने सात्विक जीवन शैली को अपनाने और इसका प्रचार-प्रसार करने पर भी जोर दिया।
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प्रधान मंत्री द्वारा अभिव्यक्त ‘सबका साथ, सबका विकास’ के दृष्टिकोण और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श, जिन्हें जी-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडा – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार’ में शामिल किया गया था, का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि जैन सिद्धांत इसी जीवन दर्शन का मूर्त रूप हैं। इस अवसर पर ओम बिरला ने प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पुरस्कार प्रदान किए।