Deja Vu: कई बार जब हम कोई काम या किसी से बात करते हैं तो हमें लगता है मानो ये चीज़ पहले भी हो चुकी है। काफी समय सोचने के बाद भी हमें याद नहीं आता कि इससे पहले यह हुआ कब था । एक बहुत ही स्ट्रोंग फीलिंग होती है जिससे लगता है मानो ये सारी घटना इससे पहले भी मेरे साथ हुई थी। ऐसा सिर्फ किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं होता बल्कि हर किसी के साथ ऐसा होता है। कुछ लोगों को लगता है कि यह एक प्रकार की दिमागी बीमारी है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यह एक तरह का एहसास है जिसे ‘देजा वू’ कहा जाता है।
Read Also: DMRC की नई टैक्सी आपके सफर को बनाएगा आसान, महिलाओं को मिलेगी खास सुविधा
क्या होता है ‘देजा वू’ ?
देजा वू एक फ्रांसीसी शब्द है, जिसका अर्थ होता है भविष्य का पहले ही दिख जाना। ड्रीम थ्योरी के अनुसार, इस शब्द को इस अहसास के लिए इसलिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि हमें भविष्य में होने वाली चीज़ का पहले ही आभास हो जाता है लेकिन हमारा दिमाग उस ओर ध्यान नहीं देता। जिसकी वजह से जब वह घटना घटती है तो हमारे मस्तिष्क को आभास होता है कि ऐसा होने के इससे पहले साइन आए हैं और साथ ही याद करने की कोशिश भी करता है कि कब ऐसा हुआ है ? जिसकी वजह से हमें यह आभास होने लगता है कि यह सारी घटना उसी तरह से मेरे साथ इससे पहले भी हुई है। इसका एहसास सबसे पहले 8-10 साल की उम्र में होता है और ज्यादातर 18-25 साल तक रहता है।
क्या है देजा वू की थ्योरी ?
देजा वू को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट बात नहीं कही गई है। अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों ने अपनी थ्योरी दी है। सभी के तर्क एक-दूसरे से अलग है। किसी में कहा जाता है कि हम जब आभासी दुनिया में सोचते-सोचते पहुंच जाते हैं तो इस वजह से होता है। कोई कहता है कि दिमागी खेल है। आइए जानते हैं कि अलग-अलग थ्योरी क्या कहती है ?
Read Also: CJI: पहले दिन से ही एक्टिव मोड में दिखे संजीव खन्ना, इतने मामलों पर की सुनवाई
मेमोरी थ्योरी- जिसके अनुसार हमारा दिमाग दो टर्म में यादों को रखता है, पहला है शॉर्ट टर्म मेमोरी और दूसरी लॉन्ग टर्म मेमोरी। कहा जाता है कि जो चीज़ें अभी घटित हो रही है, उसे हमारा दिमाग शॉर्ट टर्म मेमोरी में स्टोर करता है। जो हो चुकी हैं और हमारे लिए जरूरी है इसे लॉन्ग टर्म मेमोरी में स्टोर किया जाता है। अगर दोनों में कुछ गड़बड़ हो जाए तो शार्ट टर्म मेमोरी में स्टोर होने वाली चीजें लॉन्ग टर्म मेमोरी से आती हुई प्रतीत होती है।
3-D होलोग्राम थ्योरी- इसके अनुसार हमारी यादें 3D होलोग्राम की तरह सेव होती है। अगर कोई बात उस घटना की याद दिलाते हुए मैच हो जाती है तो उस कारण से हमें यह महसूस होने लगता है।
Top Hindi News, Latest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi Facebook, Delhi twitter and Also Haryana Facebook, Haryana Twitter
