Diseases: भारत में गंदे पानी से होने वाली बीमारियों की समस्या एक बड़ा स्वास्थ्य संकट है। देश के कई हिस्सों में साफ पानी की कमी और गंदे पानी के उपयोग के कारण लोगों को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी बहुत सारी बीमारियां हैं जो गंदे पानी के इस्तेमाल से गांव और शहर दोनों ही जगह रहने वाले लोगों पर काल के रुप में मंडरा रही हैं। आइए जानते हैं वो कौन सी बीमारियां हैं।
1. हैजा- हैजा एक गंभीर बीमारी है जो विब्रियो कॉलेरी नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बीमारी दस्त, उल्टी और पानी की कमी के कारण होती है।
हैजा के लक्षण- हैजा के लक्षण आमतौर पर 1-3 दिनों के बाद दिखाई देते हैं और इसमें शामिल हैं, इसके लक्षणों की बात करें तो लोगों को पानी जैसा दस्त होता है। हैजा में उल्टी भी हो सकती है, जो आमतौर पर दस्त के साथ होती है। प्यास बहुत अधिक होती है, क्योंकि शरीर में पानी की कमी होती है। इसके अलावा कमजोरी और थकान बहुत अधिक महसूस होती है जिसकी वजह से कभी-कभी लोगों को बुखार भी हो सकता है।
हैजा का उपचार- हैजा का उपचार मुख्य रूप से तरल पदार्थों पर निर्भर होता है, जो शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करने में मदद करता है। जैसे- ओआरएस, इंट्रावेनस फ्लुइड्स, एंटीबायोटिक्स इसके अलावा लोगों को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए।
2. टायफाइड- टायफाइड एक गंभीर बीमारी है जो साल्मोनेला टायफी नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बीमारी गंदे पानी और भोजन के माध्यम से फैलती है।
टायफाइड के लक्षण- टायफाइड के लक्षण आमतौर पर 1-3 सप्ताह के बाद दिखाई देते हैं। जैसे- तेज बुखार आना, सिरदर्द होना, कमजोरी महसूस होना, उल्टी, दस्त, पेट दर्द और रैशेज इत्यादि
टायफाइड का उपचार- टायफाइड का उपचार मुख्य रूप से एंटीबायोटिक्स पर केंद्रित होता है। जैसे- एंटीबायोटिक्स, पैरासिटामोल, टायफाइड के मरीजों को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए और आराम करना चाहिए।
3. डायरिया- डायरिया एक आम बीमारी है जो आंतों में संक्रमण के कारण होती है। गंदे पानी में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी से डायरिया होता है। यह बीमारी दस्त, उल्टी और पानी की कमी के कारण होती है।
डायरिया के लक्षण- बार-बार दस्त आना, पानी जैसा मल, पेट में दर्द होना, उल्टी आना, बुखार आना, कमजोरी महसूस होना
डायरिया का उपचार- इसके उपचार के लिए ओआरएस लेना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। डायरिया में हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाना चाहिए। डायरिया में एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसका उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए। इसके अलावा डायरिया में आराम करना बहुत जरूरी है ताकि शरीर को ठीक होने का समय मिल सके।
4. हेपेटाइटिस ए- हेपेटाइटिस ए वायरस से हेपेटाइटिस ए होता है। यह बीमारी गंदे पानी और भोजन के माध्यम से फैलती है।
5. कॉलरा: विब्रियो कोलेरा बैक्टीरिया से कॉलरा होता है। यह बीमारी गंदे पानी में मौजूद होती है और दस्त, उल्टी और पानी की कमी के कारण होती है।
हेपेटाइटिस ए के लक्षण- तेज बुखार आना, हेपेटाइटिस ए में पेट में दर्द और क्रैम्प्स हो सकते हैं साथ ही उल्टी भी हो सकती है। : हेपेटाइटिस ए में पीलिया भी हो सकता है, जिसमें त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला हो जाता है। हेपेटाइटिस ए में मांसपेशियों में दर्द भी हो सकता है और साथ भूख न लगने की समस्या भी सकती है।
हेपेटाइटिस ए का उपचार- हेपेटाइटिस ए में लोगों को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। हेपेटाइटिस ए में तरल पदार्थों का सेवन करना बहुत जरूरी है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। विटामिन और मिनरल की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स लेने चाहिए। हेपेटाइटिस ए में एंटीवायरल दवाओं का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसका उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए।
5. मलेरिया- मलेरिया परजीवी से होता है। यह बीमारी गंदे पानी में मौजूद मच्छरों के माध्यम से फैलती है। मलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो मलेरिया पैरासाइट के कारण होती है।
मलेरिया के लक्षण- इस बीमारी में मलेरिया में बुखार बहुत अधिक होता है, जो आमतौर पर 104°F से 106°F तक पहुंच सकता है साथ ही शरीर में कंपकंपी भी हो सकती है। सिरदर्द बहुत अधिक होता है। मलेरिया में उल्टी भी हो सकती है। में पेट में दर्द और क्रैम्प्स हो सकते हैं। इसके अलावा यकृत और प्लीहा में सूजन हो सकती है।
मलेरिया का उपचार- इस बीमारी में आराम की जरुरत होती है ताकि शरीर को ठीक होने का समय मिल सके। मलेरिया में पानी पीना बहुत जरूरी है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। इसमें हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाना चाहिए। मलेरिया में एंटीमैलेरियल दवाओं का उपयोग किया जाता है, जैसे कि क्लोरोक्वीन, आर्टेमिसिनिन, और मेफ्लोक्वीन। इसके अलावा इसमें हाइड्रेशन बहुत जरूरी है, इसलिए पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन करना चाहिए।
6. टीबी- टीबी बैक्टीरिया से होता है। यह बीमारी गंदे पानी और हवा के माध्यम से फैलती है। ये माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है।
टीबी के लक्षण- टीबी में खांसी बहुत अधिक होती है, जो आमतौर पर 2 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है। टीबी में खूनी थूक आना आम है। इसमें बुखार बहुत अधिक होता है, जो आमतौर पर 103°F से 104°F तक पहुंच सकता है। टीबी में रात में पसीना आना आम है साथ ही थकान और कमजोरी बहुत अधिक होती है। इसके अलावा टीबी में सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
टीबी का उपचार- टीबी में एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है, जैसे कि रिफैम्पिसिन, इजोनियाजिड, और पाइराजिनामाइड। इसमें पौष्टिक आहार खाना बहुत जरूरी है ताकि शरीर को ठीक होने के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। इसके अलावा टीबी में व्यायाम करना बहुत जरूरी है ताकि शरीर को मजबूत बनाया जा सके।
इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप साफ पानी का उपयोग करें और गंदे पानी से दूर रहें। इसके अलावा, स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को बढ़ावा देने से भी इन बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है। इन सभी बीमारियों के बारे में जानकारी सिमित नहीं है बेहतर इलाज और जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना ना भूलें।