रूस में आयोजित हुए ब्रिक्स ब्लाइंड फुटबॉल टूर्नामेंट में भारत के दृष्टिबाधित एथलीटों का जलवा देखने को मिला है। गुजरात के दो दृष्टिबाधित एथलीटों ने यहां अपने खेल में शानदार प्रदर्शन कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की है। ये भारतीय पैरास्पोर्ट्स के लिए उल्लेखनीय उपलब्धि है। 26 साल के विष्णु वाघेला अपने साथी 20 साल के विजय पंचानी के साथ भारत को सेमीफाइनल में ले जाते हुए टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बनकर उभरे हैं।
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वस्त्रपुर अंधजन मंडल में प्रशिक्षण लेने वाले वाघेला ने 2017 में क्रिकेट से फुटबॉल की ओर कदम बढ़ाया। उनकी यात्रा 2022 तक ओमान और इंग्लैंड की टीमों के खिलाफ प्रतिष्ठित मैचों में खत्म हुई। वहीं विष्णु वाघेला ने कहा कि समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ सपने सच होते हैं। इसके साथ ही टीम के कोच श्रीमान चौधरी इस उपलब्धि की सराहना करते हुए इसे न सिर्फ दृष्टिबाधित लोगों के संघ के लिए बल्कि उन व्यक्तिगत खिलाड़ियों के लिए भी अहम मानते हैं जिन्होंने असाधारण समर्पण दिखाया है। उन्होंने कहा, “ये सालों के कठोर प्रशिक्षण और अटूट दृढ़ संकल्प का रिप्रसेंट करता है।”
ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन (बीपीए) के अध्यक्ष ने कहा, “रूस में ब्रिक्स टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन एक गौरवपूर्ण क्षण है जो दिव्यांगों और मुख्यधारा के खेलों के बीच की सीमाओं को पार करता है।” वहीं स्ट्राइकर के रूप में खेलने वाले पंचानी के लिए ये उपलब्धि खासतौर से मार्मिक है। वर्तमान में अंधजन मंडल में जेएमएमटी की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने अपना खेल करियर जारी रखा है जबकि उनके दृष्टिबाधित भाई अपने पिता के हाल ही में निधन के बाद अपने परिवार को सपोर्ट कर रहे हैं।
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इन एथलीटों की सफलता भारतीय पैरास्पोर्ट्स में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो दर्शाता है कि दृष्टिबाधितता अंतरराष्ट्रीय खेल उत्कृष्टता हासिल करने में कोई बाधा नहीं है। उनकी कहानी दिव्यांग स्पेक्ट्रम के इच्छुक एथलीटों के लिए प्रेरणा का काम करती है और अंतरराष्ट्रीय खेलों में बढ़ती समावेशिता पर रोशनी डालती है।
pti