नई दिल्ली (रिपोर्ट-विश्वजीत झा): दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ अस्पताल में आईसीयू बेड की किल्लत शुरू हो गई है। खास बात ये है कि बेड कि ये किल्लत सरकारी अस्पतालों के मुकाबले प्राइवेट अस्पतालों में ज्यादा है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बेड की किल्लत के लिए बाहरी मरीजों को जिम्मेदार ठहराया है।
दिल्ली में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। जिसके बाद दिल्ली के अस्पतालों में आईसीयू बेड की किल्लत शुरू हो गई है। दिल्ली कोरोना एप से मिली जानकारी के मुताबिक ज्यादातर प्राइवेट अस्पताल में आईसीयू बेड भरे हुए हैं।
दिल्ली कोरोना एप पर उपलब्ध दिल्ली के 5 बड़े प्राइवेट अस्पतालों में ICU बेड से जुड़े आँकड़ों की बात करें तो—
- Max साकेत अस्पताल में 20 ICU बेड है, जिसमें एक भी बेड ख़ाली नहीं है..
- सर गंगाराम अस्पताल में 103 ICU बेड है, जिसमें से अब एक भी खाली नहीं है..
- इन्द्रप्रस्थ अपोलो में 64 ICU बेड है, जिसमें से एक भी ख़ाली नहीं है..
- फोर्टिस एस्कोर्ट अस्पताल में 26 ICU बेड है, जिसमे से एक भी ख़ाली नहीं है.
- BLK अस्पताल में 49 ICU बेड है, जिसमें सिर्फ अभी 3 ख़ाली है..
प्राइवेट अस्पताल में जहां आईसीयू बेड्स के लिए मारामारी है तो वहीं दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में हालात अलग हैं। दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों की बात करें तो…
- LNJP अस्पताल में आईसीयू के 130 बेड है जिनमे 24 ख़ाली है..
- राजीव गांधी अस्पताल 200 बेड है जिनमें 152 ख़ाली है..
- GTB में 40 बेड है जो सभी के सभी ख़ाली पड़े है..
अब सवाल ये है कि सरकारी अस्पतालों में बेड खाली होने के पीछे कहीं, उनके प्रति भरोसे की कमी तो नहीं। हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री इसके लिए अलग वजह बता रहे हैं।
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स्वास्थ्य मंत्री भले ही बाहरी मरीजों पर प्राइवेट अस्पतालों का रुख करने के आरोप लगा रहे हों पर एक हकीकत यह भी है कि सरकारी अस्पतालों में बाहरी मरीजों को आसानी से दाखिला नहीं मिलता। अब सवाल है कि विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे मरीज आखिर जाएं तो जाएं कहां।
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