( नवीन मल्होत्रा ) कैथल – उत्तर भारत में लगातार हो रही बारिश के चलते नदियां खतरे का निशान छू रही हैं । हरियाणा प्रदेश की मशहूर घग्गर नदी में भी पानी का बहाव काफी बढ़ गया है, जिससे नदी उफान मार रही है। इस कारण से घग्गर नदी के किनारे बसे 30 से अधिक गांवों पर बाढ़ जैसे हालात बन गए है । किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है, क्योंकि कई एकड़ फसलें जलमग्न हो गई हैं।
30 से ज्यादा गांवों से संपर्क टूटा
घग्गर नदी में जलस्तर बढ़ने के बाद नदी किनारे बसे 30 से अधिक गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं। पानी का बहाव बढ़ने के बाद आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है। करीब 20 हजार एकड़ फसल जलमग्न हो गई है । वहीं रसूलपुर और प्रेमपुरा के बीच शाम को सरस्वती नदी की ड्रेन टूटने से कई किसानों के खेतों में जलभराव हो गया है। घग्गर नदी किनारे बसे गांवों और खेतों में पानी घुसना शुरू होने से ग्रामीण चिंतित हैं। अगर पानी और बढ़ा तो यहां स्थिति बेकाबू हो सकती है। इस समय भी घग्गर नदी उफान पर है और जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। इन गांवों में रहने वाले लोग अब मुख्य सड़क पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। गांव कमेहड़ी, बाऊपुर, पपराला, रताखेड़ा घड़ाम, भूंसला, बुढऩपुर सरोला खंबेड़ा दाबा-चाबा गांव के पास चारों तरफ पानी ही पानी है। सड़क पानी में डूब गई है और आवाजाही भी बंद है। यह रास्ता कैथल को पटियाला से जोड़ता है, वहीं बीच में चीका है। भले ही दो दिन से वर्षा नहीं हो रही हो, लेकिन गुहला-चीका क्षेत्र में घग्गर नदी में जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है। मंगलवार रात तक यह 27 फीट तक था। कैंथल डीसी जगदीश शर्मा ने अधिकारियों की टीम साथ मौके पर जाकर निरीक्षण किया । उन्होंने बताया कि आज घग्गर नदी में पानी 28.3 फीट के गेज को पार गया गया है। यह खतरे के 23 फीट पर निर्धारित निशान से 5 फीट से भी ऊपर चला गया है। इसके चलते ही पानी आसपास के खेतों से होते हुए अब गांवों में पहुंच रहा है। लोगों द्वारा मिट्टी के कट्टे लगाकर घरों में पानी घुसने से रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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डीसी जगदीश शर्मा ने कहा कि घग्गर नदी के पानी को रोकने के प्रबंध शुरू कर दिये है। उन्होंने कहा कि घग्गर नदी के आसपास के कई गांव में हालत चिंताजनक हैं। यहां खेत पानी से भर गए हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए एनडीआरएफ की एक टीम आई हुई है एक टीम और मांगी गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंध की टीम ने बाढ़ राहत के लिए काम शुरु कर दिया है। ग्रामीण गांव से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। घग्गर नदी का पानी गांव में घुसने लगा है। इस कारण लोगों ने खाने-पीने व जरूरत के सामान को छतों पर रखना शुरू कर दिया है। करीब 19 साल बाद इस तरह के हालात घग्गर पार क्षेत्र के गांव में बने हुए हैं। गांव के हालात को देखते हुए एनडीआरएफ की टीम ने मोर्चा संभाल लिया है। दूसरी तरफ क्षेत्र से गुजर रही नहर में भी पानी का बहाव तेज हो रहा है एक गांव के पास इसका एक हिस्सा टूटने से पानी खेतों में भर गया है। इस पर डीसी जगदीश शर्मा ने कहा कि नहर में आई दरार को बंद कर दिया है। डीसी जगदीश शर्मा ने टटियाणा घग्घर गेज, भागल, रत्ताखेड़ा कड़ाम, सिहाली, भाटिया आदि प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के दौरान अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए । उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में जल भराव हुआ है और अगर वहां पर कोई डेरे हैं तो वहां पर रहने वाले लोगों से 24 घंटे संपर्क बनाए रखें। उन लोगों को उनकी इच्छानुसार वहां से निकालकर किसी और जगह स्थानांतरित किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि किसी इलाके में आमजन पानी के कारण फंसते हैं तो तुरंत संबंधित अधिकारी एनडीआरएफ की टीम के साथ उन्हें वहां से निकालने का कार्य करें।
गौरतलब है कि घग्गर नदी गुहला को चार बार तबाही का मंजर दिखा चुकी है। सबसे पहले साल 1988 में उसके बाद 1993, 1995 और 2010 में घग्गर ने गुहला चीका क्षेत्र में खूब तबाही मचाई थी। साल 1993 और 2010 में घग्गर द्वारा मचाई गई तबाही लोगों को अभी याद है। साल 2010 में लगभग 50 से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए थे वहीं लगभग 20 हजार एकड़ से अधिक फसल तबाह हो गई थी। वहीं साल 1993 में करीब 10 हजार एकड़ फसल तबाह हुई थी।